ईश्वरीय वाणी वेद 📚- आचार्य सुरेश जोशी

🦩 *ओ३म्* 🦩
📚 ईश्वरीय वाणी वेद 📚
🌹 *वेदों में योग विद्या*🌹
*ओ३म् योगे योगे तवस्तरं वाजे वाजे हवामहे इन्द्रमूतये*
।। यजुर्वेद ११/१४।।
🍁 *सखाय* = मित्रो! जैंसे हम लोग 🍁 *ऊतये* = रक्षा आदि के लिए 🍁 *योगे योगे* = जिस -जिस में नियुक्त हों उस -उस में तथा 🍁 *वाजे वाजे* = संग्राम -संग्राम के बीच 🍁 *तवस्तरम्* = अत्यंत बलवान 🍁 *इन्द्रम्* = परमैश्वर्य युक्त पुरुष को राजा 🍁 *हवामहे* मानते हैं, वैसे तुम भी मानो !
🦚 *मंत्र मीमांसा*🦚
बार- बार योगाभ्यास करते और बार -बार मानसिक बल बढ़ाते समय हम सब परस्पर मित्र भाव से युक्त होकर अपनी रक्षा के लिए *अनन्त,बलवान, एश्वर्य शाली ईश्वर** का ध्यान करते हैं। उसी से सब प्रकार की सहायता मांगते हैं।
हमारा लक्ष्य सब सुखों से छूटकर पूर्ण आनंद की प्राप्ति करना है।ये दोनों बातें संसार में नहीं हैं। ये। *मोक्ष* में ही संभव है। मगर मोक्ष को प्राप्त करने के लिए। *चित्त की,मन की वृत्तियों का निरोध* होना जरूरी है।उसके लिए *परं पुरुषार्थ* की आवश्यकता है।
आर्यावर्त साधना सदन पटेल नगर दशहराबाग बाराबंकी उत्तर प्रदेश में *अंतरराष्ट्रीय योग दिवस २१जून २०२४* बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। जिसमें *आर्य समाज, पौराणिक समाज, भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्य कर्ता* सहित माता -बहनों से भी 🌴 योगाभ्यास किया 🌴
योग के रहस्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि एक व्यक्ति को *शत-प्रतिशत योगी* बनने के लिए योग की पांच भूमिकाओं में दक्ष होना जरूरी है।
(१) शारीरिक योग (२) मानसिक योग (३) बुद्धि योग (४) आत्म योग (५) भक्ति योग।
योग प्रशिक्षण देते हुए *आचार्य सुरेश जोशी* जी ने पांचों योगों पर * *क्रियात्मक रूप* से प्रकाश डाला।
🌻 *शारीरिक योग*🌻
शरीर स्वस्थ हो। बलवान हो सुंदर हो। इसके लिए * *अर्धचक्रासन,पूर्ण चक्रासन, सिद्धासन, योग निद्रा, शलभासन, वज्रासन, भुजंगासन* का अभ्यास के साथ *एक्वा प्रेशर* की क्रियाएं कराई गई और इनसे होने वाला लाभों की परिचर्चा की।
🌻 *मनोयोग*🌻
केवल शारिरिक योग करने वाला व्यक्ति कुछ समय तक निरोग रहेगा मगर *योगी* नहीं बन सकता।
अतः मन को नियंत्रित करने के तीन साधन हैं। *प्राणायाम,सत्य भाषण और परोपकार तभी व्यक्ति योगी बन सकता है।
🌻 *बुद्धि योग*🌻
मन के बाद नंबर आता है बुद्धि का। बुद्धि के लिए *सत्संग व स्वाध्याय* जरूरी है। इसके बिना योगी बनना दिवास्वप्न है। बुद्धि का काम है। *सही -गलत , जड़ -चेतन व नित्य -अनित्य* की पहचान करना।
🌻 *आत्मयोग*🌻
चौथा चरण है। *ओ३म् का ध्यान। गायत्री का जप* जो व्यक्ति ध्यान नहीं करता उसे फिर मनुष्य का जीवन नहीं मिलता। क्योंकि *संतान पैदा करना, भोजन करना,भ्रमण करना,मौज -मस्ती तो मनुष्य से अच्छा पशु* कर लेते हैं। अतः योगी बनने की पांचवीं शर्त है कि वह प्रतिदिन *आत्मा की उन्नति* के लिए 🕉️ ओ३म् 🕉️ का कम से कम छः मिनट ध्यान करें।
🌻 *भक्ति योग*🌻
योगी बनने का पांचवां व अंतिम उपाय है *ईश्वर भक्ति* ईश्वर भक्ति का मतलब ईश्वर के लिए समर्पण। समर्पण में पांच बातें आती हैं।
(१) किसी भी कार्य को करने से पहले ईश्वर को सूचना देना।
(२) कार्य के बीच में इस बात का ध्यान रखना कि ईश्वर मेरे काम को देख रहा है।
(३) जिन साधनों से मैं काम करता हूं जैसे *शरीर,मन, बुद्धि,धन,बल, शक्ति* सब ईश्वर का दिया है ऐसा अनुभव करना।
(४) कार्य समाप्त होने पर ईश्वर का धन्यवाद करना।
(५) जब ईश्वर आपसे पूछे कि क्या फल दूं तब *धन, संतान, मकान,कार न मांगकर केवल मोक्ष* ही मांगना। इन पांच योगों को करने के बाद ही व्यक्ति *योगी* बन सकता है। जिसमें ये पांच बातें चरितार्थ हो वही धरती पर *योगी की पहचान* है बांकी तो *नकली,फसली,कतली व ढपली* वाले ही हैं।
🔥 *अग्निहोत्र*🔥
यज्ञ के उपरांत पर्यावरण को शुद्ध करने की प्रेरणा देने के लिए *सामूहिक यज्ञ* किया गया जिसमें * *आदरणीय डॉ अरविन्द त्रिपाठी। डाक्टर दिवाकर श्रीवास्तव जी व आदरणीय देवेन्द्र द्विवेदी जी सपत्नीक यजमान* पद पर शुषोभित रहे!
🪷 *बौद्धिक संदेश*🪷
भारतीय जनता पार्टी के भूतपूर्व जिलाध्यक्ष *आदरणीय संतोष सिंह* जी जो वर्तमान प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं। आपने अपने बौद्धिक संदेश में *भारतीय संस्कृति* को जन -जन तक पहुंचाने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि आज के भौतिक युग में *यज्ञ -योग, संस्कार* ही मानव व मानवता को जन्म देता है।
🏵️ *योग-व्यवस्था*🏵️
ब्रह्मचारी शुभम शर्मा व ब्रह्मचारिणी श्वेता शर्मा ने योग स्थल की साज -सज्जा व यज्ञ की उत्तम व्यवस्था की।
🌸 योग-प्रशिक्षार्थी 🌸
उपरोक्त कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वालों में *श्रीमती सुरेश वर्मा जी।माता सरोज द्विवेदी।श्री अर्जुन यादव।श्री प्रेमचन्द।बहन रंजना अवस्थी।बहन अंशिका शर्मा। ब्रह्मचारी मानस श्रीवास्तव। राजीव कुमार अवस्थी प्रधान आर्य समाज मंदिर धनोखर बाराबंकी।श्री रमापति अवस्थी।श्री विजलशील तिवारी। बहन बि न्नो पांडेय।श्री प्रभा शंकर श्रीवास्तव। रामचन्द्र पांडेय।* आदि नर/नारियां उपस्थित रहीं।इस प्रकार 🪷 योग-यज्ञ-संस्कार🪷 व शांति पाठ व वैदिक शंखनाद के साथ कार्यक्रम को विराम दिया गया।
🌹 कार्यक्रम -स्तंभ 🌹
संपूर्ण कार्यक्रम की स्तंभ रही *पंडिता रुक्मिणी जोशी वैदिक भजनोपदेशिका* आपने अतिथि सत्कार से लेकर कार्यक्रम के चलचित्र व छायाचित्रों का अद्भुत संकलन व संयोजन किया।
आचार्य सुरेश जोशी
🌳 *वैदिक प्रवक्ता*🌳

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