अनुराग लक्ष्य, 25 अप्रैल
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुम्बई संवाददाता ।
कुदरत ने हज़ारों साल पहले पहाड़ों की बुलंदी, झरनों के तबस्सुम, कलियों की मासूमियत और फरिश्तों के नूर को इकट्ठा कर के जिस मुकद्दस रिश्ते को जन्म दिया था , उसी का नाम है इंसानियत, और उसी इंसानियत और भाई चार्गी को आम करने के उद्देश्य से पूरे मुल्क में गंगा जमुनी तहजीब के मुशायरे और कवि सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं और आयोजित किए जाते रहेंगे। जिसका सिर्फ एक ही मकसद होता है कि किसी भी सूरत ए हाल में इस देश में इंसानियत और भाई चार्गी की डोर को मज़बूत करना, साथ देश में अन्न और शांति का पैग़ाम देना। इस कड़ी में पूर्वांचल से लेकर आर्थिक नगरी मुंबई तक एक ऐसा नाम, दुनिया ए अदब जिसे Saleem Bastavi Azizi Lyrics Writer in Mumbai के नाम से जानती और पहचानती है। जिनकी रचनाओं ने हमेशा साहित्य और अदब को लेकर एक साथ अपनी शायरी को हमेशा आवाम तक पहुंचाया है। आज हम गंगा जमुनी तहज़ीब को आम करती हुई उनकी रचनाओं से आपको रूबरू करा रहे हैं,,,,,
1/ मैं शायर हूं मुहब्बत आम करना काम है मेरा
जहां वालों मुझे देखो मुहब्बत नाम है मेरा
हर इक दिल हो मुहब्बत से यहां लबरेज़ इंसां का,
मिटे नफरत दिलों से बस यही पैग़ाम है मेरा,,,,,
2/ कभी मीरा के दिल था, कभी राधा के दिल में जो
यशोदा का वोह नंदलाला वही घनश्याम है मेरा
मैं मुस्लिम हूं मगर मुझको भी उतनी ही मुहब्बत है
कि जैसे आपका वैसे ही चारो धाम है मेरा,,,,,
3/ पिता की एक आज्ञा पर सहर्ष वनवास को जाना
सहर्ष वनवास को जाना और लंका भी फतह करना
तो ऐसे राम को शत शत यहां परडाम है मेरा
अगर सच में तुम्हारे दिल में बसती है अयोध्या तो
बसलो राम को दिल में यही पैग़ाम है मेरा,,,,
4/ है जो इस मुल्क का हकदार अभी बाकी है
जिसके हाथों में हो पतवार अभी बाकी है जिसके
जिसके आने से महक उट्ठे यह सारा गुलशन
ऐसी इस मुल्क में सरकार अभी बाकी है,,,
5/ कहा था किरिष्ण ने अर्जुन ने जो वोह याद करो
मुझमें गीता का वही सार अभी बाकी है
जिस तरह कर दिया था राम ने अहिल्या का
उस तरह मेरा भी उद्धार अभी बाकी है,,,,
6/ अब भी तहज़ीब ओ तमद्दुन है मेरे भारत में
दरमेयां तीज और तेवहार अभी बाकी है
तुम ज़माने के खुदाओ से कभी मत डरना
हीर रांझा का यहां प्यार अभी बाकी है,,,,