अनुराग लक्ष्य, 26 फरवरी
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुम्बई संवाददाता ।
,, ऐ शहर ए लखनऊ तुझे मेरा सलाम
मुद्दत हुई न कर सका तुझसे कोई कलाम
मशकूर हूं ममनून हूं या रब्ब ए कायनात
बरसों के बाद मैने गुजारी है एक शाम,,,
आर्थिक नगरी मुंबई से चलकर तहज़ीब के शहर लखनऊ में मशहूर शायर और गीतकार सलीम बस्तवी अज़ीज़ी ने, अपने गीतों और गजलों का ऐसा समां बांधा कि महफिल बाग बाग हो उठी।
,,एक यशी का स्वर्ग हो जग में
इक सौरभ की जन्नत हो
इस धरती से उस अंबर तक पूरी हर इक मन्नत हो
खुल्द ए बरीं की हर इक नेमत आज यशी सौरभ के नाम
गम का सूरज छू न पाए
रहमत की बरसातें हों
रहमत की बरसातें हों
सुबहा सुनहरी, दिन सोना हो और चांदनी रातें हों
जिधर भी जाओ उन राहों पर खुशियों की सौगातें हों,,
अवसर था, ग्लोबल ग्रीन्स के अद्धेयक्छ और महान उदघोषक श्री संजय पुरुषार्थी की प्रिय सुपुत्री यशी और दामाद सौरभ का Reception समारोह,
उसके बाद जो सिलसिला चला तो एक से एक गीतों गजलों की ऐसी बरसात हुई कि लोग इसकी खुशबू से देर रात तक मुअत्तर होते रहे, खासकर सलीम बस्तवी अज़ीज़ी के इस गीत पर भरपूर तालियों की सौगात बरसी, कि
,,, प्यार में ज़िंदा होते हुए भी मरजाना हो जाता है
जब कोई सांसों में समाकर बेगाना हो जाता है
हमने शमां को आज भी ज़िंदा रक्खा है तूफानों में
हमसे पूछे कैसे कोई परवाना हो जाता है,,
कार्यकर्म का संचालन संजय पुरुषार्थी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में करते अपने हज़ारों चाहने वालों के दिलों में उतर गए।
प्रोग्राम में प्रीति तिवारी, लक्ष्मी श्री वास्तवा ,पलक, ने अपनी मधुर आवाज़ का जादू बिखेरा और महफिल को सराबोर किया।
डॉक्टर आफाक रजा और नीरज सिंह के गीतों ने मुहम्मद रफ़ी और किशोर कुमार की याद दिलाई। इसी के साथ, कार्यकर्म को सफल बनाने में शरद कुमार, अवधेश निषाद, राजेश श्रीवास्तव, अलंकीर्त, सहित सैकड़ों लोगों का भरपूर योगदान सराहनीय रहा ।
कार्यकर्म के अंत में आयोजक संजय पुराषार्थी ने सभी आगंतुकों और अतिथियों को कीमती उपहारों के साथ विदा करके उनका धन्यवाद ज्ञापित किया।