ग़ज़ल की काविश
उसके तखय्युलात में इतना मै खो गया
जज़्बा गमे फिराक़ का पलकें भिगो गया
सच बात बोलना भी हुआ जुर्म आजकल
ये देखकर मै वादिये हैरत में खो गया
सर गर्म हर मुहाज़ पे रहता था हर घड़ी
वो अमन का सफीर भी लगता है सो गया
चेहरा शनास लोगों ने पहचान ही लिया
मै तुम को चाहता हूँ ये मशहूर हो गया
इस खित्ते की उदास थी बंजर थी अस्ल में
दिल की ज़मीं में ख्वाब हसीं कोई बो गया
साँसों की माला नाज़ करे है नसीब पर
मोती मसररतों के वो ऐसे पिरो गया
उसको बगैर देखे नहीं मिलता है क़रार
तारिक़ ये दिल का हाल मोहब्बत में हो गया
असलम तारिक़