अनुराग लक्ष्य, 9 जनवरी सलीम बस्तवी अज़ीज़ी, मुंबई संवाददाता । गंगा जमुनी तहज़ीब की खुशबू समेटे पूर्वांचल की खुशबू समेटे शायर इमरान गोंडवी मुंबई की सरज़मीं पर आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। मुशायरों और कविसम्मेलनों में उनकी भूमिका भी अहम है। आज उन्हीं के एक ग़ज़ल से आपको रूबरू करा रहा हूं । जहां में गुल खिलाऐं दोस्ती का चलो गुलशन सजाएं दोस्ती का ,,,
मकान ए दिल में जो करदे उजाला वही सूरज उगाएं दोस्ती का,,,,
हो जिसमें रंग हर मज़हब का शामिल वही परचम उठाएं दोस्ती का,,,,
बुराई हर तरफ फैली हुई है चलो दामन बचाएं दोस्ती का,,,
ज़माना मुत्तहिद हो जाए शायद कोई किस्सा सुनाएं दोस्ती का,,,,,
ज़माना बदला, पर लहजा न बदला अदब उनको सिखाएं दोस्ती का,,,,
जहां हों हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई वतन ऐसा बनाएं दोस्ती का,,,,
वतन के नाम पे मरना है हमको हलफ यह भी उठाएं दोस्ती का,,,,
जिसे सुनकर दिल ए इमरान खुश हो वही नग्मा सुनाएं दोस्ती का,,,,