कथा सुनने से होता है मानव जीवन में संस्कारों का उदय- आचार्य धरणीधर

रिपोर्ट कालिन्दी तिवारी संतकबीरनगर

सन्तकबीरनगर।* विकास खंड नाथनगर के अंतर्गत महुली में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा में अयोध्या धाम से आए कथा प्रवक्ता आचार्य धरणीधर जी महाराज ने कहा कथा सुनने से मानव जीवन में संस्कार का उदय होता है। जीवन में कितनी भी विकट परिस्थिति क्यों न आ जाए मुनष्य को अपना धर्म व संस्कार नहीं छोड़ना चाहिए। ऐसे ही मनुष्य जीवन के रहस्य को समझ सकते हैं। आचार्य धरणीधर जी महाराज ने कहा कि जिसकी भगवान के चरणों में प्रगाढ़ प्रीति है, वही जीवन धन्य है। ईश्वर ने विभिन्न लीलाओं के माध्यम से जो आदर्श प्रस्तुत किया, उसे हर व्यक्ति को ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन मूल्यों के बारे में जानकारी मिलने के साथ-साथ अपने कर्तव्य को भी समझा जा सकता है।उन्होंने कथा के दौरान बताया कि श्रंगी ऋषि के श्राप को पूरा करने के लिए तक्षक नामक सांप भेष बदलकर राजा परिक्षित के पास पहुंचकर उन्हें डस लेते हैं और जहर के प्रभाव से राजा का शरीर जल जाता है और मृत्यु हो जाती है। लेकिन श्रीमद् भागवत कथा सुनने के प्रभाव से राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्त होता है। पिता की मृत्यु को देखकर राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय क्रोधित होकर सर्प नष्ट हेतु आहुतियां यज्ञ में डलवाना शुरू कर देते हैं जिनके प्रभाव से संसार के सभी सर्प यज्ञ कुंडों में भस्म होना शुरू हो जाता है, तब देवता सहित सभी ऋषि मुनि राजा जन्मेजय को समझाते हैं और उन्हें ऐसा करने से रोकते हैं। आचार्य ने कहा कि कथा के श्रवण प्रवचन करने से जन्म जन्मांतरों के पापों का नाश होता है और विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।सुदामा चरित्र का भाव पुर्ण वर्णन किया परीक्षित को मोक्ष की गति प्राप्त हुई श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने मात्र से इस अवसर पर परशुराम मिश्र, राम चन्द्र मिश्र,अविनाश मिश्र,आनंद मिश्र सुभाष चंद्र शुक्ल,नीरज मिश्र, वाचस्पति दुबे, महेंद्र दुबे दुबे, जनार्दन दुबे, कृष्ण देव दुबे, स्कंद मिश्र, नवीन मिश्र, नीरज मिश्र, सहित बहुत श्रोता उपस्थित रहे।

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