नफ़रत की जगह प्यार अगर हो गुमान में, दुश्मन भी तुमसे बोलेगा शीरीं ज़बान में,,, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,

अनुराग लक्ष्य, 30 सितंबर ।
कुदरत ने हज़ारों साल पहले पहाड़ों की बुलंदी, झरनों के तबस्सुम और कलियों की मासूमियत और फरिश्तों के नूर को इकट्ठा करके जिस मुकद्दस रिश्ते को जन्म दिया था उसी का नाम है इंसानियत। और, उसी इंसानियत और भाई चारगी को आम करने के उद्देश्य की पूर्ति हेतु हम भारत वासियों ने हमेशा मुल्क में एकता भाई चारे की मिसाल पेश की है।
चाहे होली या रमजान साथ में हो, या फिर ईद या दिवाली साथ में हो, या जब भी इस तरह के तेवहार गणेशोत्सव या ईद मीलादुन नबी का मौका हो, हम भारत वासियों ने हमेशा अपनी संजीदगी संस्कृति और सभ्यता के साथ अपने संस्कार को हमेशा सामने रखा, जिससे मुल्क में अमन और शांति व्यवस्था कायम ओ दायेम रहे। हमारी गंगा जमुना तहज़ीब की इसी परमपरा ने फिरका प्रस्त ताकतों को हमेशा एक नई राह दिखाने की कोशिश की है। जिससे भारत विश्व में अपनी अलग पहचान बनाता नज़र आता है। समस्त देश वासियों का में सलीम बस्तवी अज़ीज़ी ह्रदय की गहराइयों से आभार प्रकट करता हूं कि दो बड़े तेवहार ईद मीलादुन नबी और गणेशोत्सव सफलता पूर्वक देश में सम्पन्न हो गए। इस शुभ अवसर पर मैं तो यही कहूंगा कि,,,
नफ़रत की जगह प्यार अगर हो गुमान में
दुश्मन भी तुमसे बोलेगा शीरीं ज़बान में
तुम सीखलो कुरआन से जीने का सलीका
चलना है राह ए हक़ पे अगर इस जहान में,,
……. सलीम बस्तवी अज़ीज़ी …. .

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