ईश्वर के अनगिनत गुण हैं-आचार्य विश्वव्रत शास्त्री

लखनऊ  21 सितंबर सत्य सनातन वेद प्रचार न्यास के द्वारा भवानी चौराहा जानकीपुरम विस्तार में चल रहे वेदकथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव का आज पांचवे दिन विशाल भंडारे के साथ समापन हुआ पांच दिवसीय वेद कथा के अंतिम दिन आचार्य विश्वव्रत शास्त्री ने “ईश्वरीय पूजा का वैदिक स्वरूप” विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वेदों में ईश्वर को एक और सर्वव्यापक बताया गया है।ईश्वर के अनगिनत गुण है। ईश्वर का प्रत्येक नाम उसके प्रत्येक गुण का दर्शन करवाता है।ईश्वर के अनगिनत गुण होने के कारण अनगिनत नाम हैं।ईश्वर ने हमें सब कुछ दिया है उसको कुछ चढ़ावा चढ़ा कर हम पूजा नही कर सकते। ईश्वर की पूजा देने में नही ईश्वर से लेने में है ईश्वर ने जो ज्ञान वेदों के माध्यम से प्राणी मात्र के लिए दिया है उसका अनुसरण करना ही सच्चे अर्थों में ईश्वर की पूजा करना है।ईश्वर की स्तुति,प्रार्थना व उपासना करने से ही ईश्वर से मिलन सम्भव है।उन्होंने कहा कि आज संपूर्ण संसार भौतिक ज्ञान की ओर आकर्षित है किंतु इसके साथ-साथ उसे आध्यात्मिक ज्ञान की आवश्यकता है।

इस अवसर पर वैदिक विद्वान डॉ. सत्यकाम जी ने वेद ज्ञान के प्रचार प्रसार पर जोर देते हुए कहा कि प्राणी मात्र का धर्म ग्रंथ वेद है और इसके अंदर शुद्ध ज्ञान है । आचार्या प्रियंका शास्त्री, कविता सहगल,अनुराग शास्त्री द्वारा सुमधुर भजनों का गायन हुआ।
आयोजक मंडल के प्रमुख अरविंद गुप्त ने बताया कि पांच दिवसीय वेद कथा के उत्तम आयोजन का प्रभाव उपस्थित जनमानस पर अपनी छाप छोड़ गया। इस अवसर पर उपस्थित यजमानों तथा श्रद्धालुओं ने समापन यज्ञ में भारी संख्या में सहभागिता दी। कार्यक्रम में सुनीता मिश्रा, गायत्री आर्या संध्या रानी गुप्ता, स्मृति गुप्ता, नरेंद्र आर्य, नवीन सहगल, पवनदेव, विजयलक्ष्मी आर्य आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। अंत में शांति पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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