अनुराग लक्ष्य, 13 सितंबर ।
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुंबई संवाददाता ।
रोज़ मर्रा की ज़रूरतों में दूध का कितना महत्त्व है। यह किसी को बताने की ज़रूरत नहीं है। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक की यह मुकम्मल गिजा और आहार माना जाता है।
इस तरफ अगर नजर उठाई जाए तो यह कहना ही पड़ता है कि आम इंसान पर मंहगाई वैसे ही फन फैलाए हुए हैं ऐसे हालात में अब ईंधन, सब्जी और अनाज के साथ अब दूध पर भी मंहगाई अपनी जोर आजमाइश करती नजर आ रही है।
मुंबई में सितंबर माह में दूध की कीमतों में दो से तीन रुपए की वृद्धि हो गई है। तबेले चालकों का कहना है कि जानवरों के चारों में लगातार वृद्धि हो जाने के कारण यह कदम उठाया गया है। फिलहाल इस वक्त भैंस के दूध की कीमत जो 85 रुपए थी अब वो 87 रुपए हो गई है।
इस असर पर केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला के अनुसार पशुपालन और डेयरी विभाग देश में दूध की कीमत को नियंत्रित नहीं करता, बल्कि सहकारी समितियां और निजी डेयरियों दोवारा इसकी कीमतें तय करती हैं।
बहरहाल यह तो तय है कि जनता इस दूध की बढ़ी कीमतों से बेजार है। जिसका निवारड़ होना चाहिए। साथ ही यह प्रश्न भी उठता है कि जिस देश में दूध के एक लीटर की कीमत 90 रुपए के आस पास पहुंच जाए, वहां बच्चे और बूढ़े कैसे जिंदा रह पाएंगे।