बस्ती।२३ अगस्त जिस समय दुनियां चन्द्रयान की ओर टकटकी लगाये देख रही थी प्रेमचन्द साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान एवं वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला के संयोजन में कलेक्टेªट सभागार मंें गोस्वामी तुलसीदास की जयन्ती पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास महाकवि, जीवन दृष्टा थे। रामचरित मानस उनकी प्रतिनिधि रचना है मगर तुलसी केवल मानस के सर्जक ही नहीं है. वे भक्ति आंदोलन के सूत्रधारों में से एक थे और उनका रचा साहित्य सर्वकालिक है। कहा कि तुलसी के साहित्य को पढ़ कर धर्म की राह भी खुलती है और समूचे समाज के सुधार की राह भी मिलती है।
वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि जब-जब हम रामचरित मानस पढ़ते हैं या तुलसी के लेखन की बात करते हैं तो हमें इस दृष्टि से भी देखना चाहिए कि रामचरित मानस की रचना किस काल में किस उद्देश्य से हुई है। तुलसी आकाश कुसुम खिलाने वाले कवि नहीं थे। उन्होंने यथार्थ की भावधरा पर भक्ति का कलश स्घ्थापित किया ।
अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को तुलसीदास जयंती मनाई जाती है। इन्हें सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक माना जाता है। इन्होंने श्री रामचरितमानस के साथ 12 महान ग्रंथों की रचना की थी इस साल तुलसीदास जी का 526 वां जन्मदिन मनाया जा रहा है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने अनेक ग्रंथों की रचना की थी। जिसमें श्री रामचरितमानस, हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमानाष्टक, दोहावली, जानकी मंगल,हनुमान बाहुक आदि की रचना की थी। उन्हें एक सर्वश्रेष्ठ कवि के रूप में माना जाता है। तुलसीदास जी ने अपनी कई बातों के बारे में लिखा, जिनका पालन करके व्यक्ति सुरक्षित जीवन के साथ सुख-सौभाग्य के साथ रह सकता है।
मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास महाकवि, जीवन दृष्टा थे। रामचरित मानस उनकी प्रतिनिधि रचना है मगर तुलसी केवल मानस के सर्जक ही नहीं है. वे भक्ति आंदोलन के सूत्रधारों में से एक थे और उनका रचा साहित्य सर्वकालिक है। कहा कि तुलसी के साहित्य को पढ़ कर धर्म की राह भी खुलती है और समूचे समाज के सुधार की राह भी मिलती है।
वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि जब-जब हम रामचरित मानस पढ़ते हैं या तुलसी के लेखन की बात करते हैं तो हमें इस दृष्टि से भी देखना चाहिए कि रामचरित मानस की रचना किस काल में किस उद्देश्य से हुई है। तुलसी आकाश कुसुम खिलाने वाले कवि नहीं थे। उन्होंने यथार्थ की भावधरा पर भक्ति का कलश स्घ्थापित किया ।
अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को तुलसीदास जयंती मनाई जाती है। इन्हें सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक माना जाता है। इन्होंने श्री रामचरितमानस के साथ 12 महान ग्रंथों की रचना की थी इस साल तुलसीदास जी का 526 वां जन्मदिन मनाया जा रहा है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने अनेक ग्रंथों की रचना की थी। जिसमें श्री रामचरितमानस, हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमानाष्टक, दोहावली, जानकी मंगल,हनुमान बाहुक आदि की रचना की थी। उन्हें एक सर्वश्रेष्ठ कवि के रूप में माना जाता है। तुलसीदास जी ने अपनी कई बातों के बारे में लिखा, जिनका पालन करके व्यक्ति सुरक्षित जीवन के साथ सुख-सौभाग्य के साथ रह सकता है।
गोष्ठी का संचालन करते हुये वरिष्ठ कवि डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने कहा कि तुलसी के राम में आदर्श राजा भी है तो आदर्श व्यक्ति भी। व्यापकता में तुलसी के राम चरित को मानवीय मूल्यों का स्थापना ग्रंथ माना जाता है। जो राम को जानने वाले है या जो उन्हें जानना चाहते हैं वे जान लें कि राम को केवल प्रेम प्यारा है। गोष्ठी में पं. चन्द्रबली मिश्र, बी.के. मिश्र, बटुकनाथ शुक्ल, सुदामा राय, विनय कुमार श्रीवास्तव, छोटेलाल वर्मा, दीपक सिंह प्रेमी, सन्तोष कुमार श्रीवास्तव, राजेन्द्र सिंह:राही, प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, हरिकृष्ण प्रजापति, आदि ने गोस्वामी तुलसीदास की कृतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। मुख्य रूप से अजमत अली सिद्दीकी, राघवेन्द्र शुक्ल, राहुल यादव, सामईन फारूकी, दीनानाथ यादव, गणेश प्रसाद आदि उपस्थित रहे।
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