आर्य समाज और आर्य वीर दल के छात्र छात्राओं और शिक्षक, शिक्षिकाओं ने वैदिक यज्ञ मे आहुतियां अर्पित कर दी श्रद्धांजलि 

आर्य समाज और आर्य वीर दल के छात्र छात्राओं और शिक्षक, शिक्षिकाओं ने वैदिक यज्ञ मे आहुतियां अर्पित कर दी श्रद्धांजलि

बस्ती। आर्य समाज और आर्य वीर दल पूर्वी उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित वीरोत्सव सप्ताह में आज देश के लिए अप्रतिम बलिदान देने वाले वीर बालकों जोरावर सिंह एवं फतेह सिंह जी के बलिदान दिवस को शान्ति यज्ञ कर मनाया गया। इस अवसर पर समस्त छात्र छात्राओं और शिक्षक, शिक्षिकाओं ने वैदिक यज्ञ मे आहुतियां अर्पित कर श्रद्धांजलि दी । बीर बालकों के बलिदान को याद करते हुए छात्र छात्राओं द्वारा सास्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया और विद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाओं ने भी अपने-अपने सारगर्भित विचारों से बच्चों को उनका अमर इतिहास बताया। इस अवसर पर ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने बताया कि वीरता का गुण जन्मजात नहीं वातावरण से बनता है। एक शेर के बच्चे को जन्म से ही भेड़ियों के बीच छोड़ दिया जाए तो भले ही वह संसार का सबसे खतरनाक प्राणी हो वह व्यवहार में दुर्बल भेड़िये की तरह व्यवहार करेगा। इसलिए बच्चों को अच्छा वातावरण मिलना चाहिए जिससे वे बहादुरी का प्रदर्शन कर सके ।उन्होंने जय शंकर प्रसाद जी के पंक्तियों को सुनाकर समस्त को वीर रस से ओतप्रोत कर दिया ।विद्यालय के शिक्षक अनूप त्रिपाठी जी ने समस्त को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज दशम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के 6 व 8 साल के पुत्रों बाबा फतेह सिंह और जोरावर सिंह का बलिदान दिवस है, जिन्हें आज से से 309 साल पहले 26 दिसंबर को को क्रूर मुग़ल शासक ने दीवार में चिनवा दिया था। सरहिंद के नवाब ने उन बच्चों को मुसलमान बनने के लिए मजबूर किया था, मगर वीर बालक ना डरे, ना लोभ में अपना धर्म बदलना स्वीकार किया और दुनिया को बेमिसाल शहीदी पैगाम दे गए। वे दुनिया में अमर हो गए। भारतीय इतिहास में सिख गुरुओं के त्याग, तपस्या व बलिदान का एक महत्वपूर्ण अध्याय है।विद्यालय के प्रधानाध्यापक आदित्य नारायण ने कहा कि इस भारत भूमि पर ऐसे वीर बालक हुए जिन्होंने अपने बलिदान से समस्त विश्व को प्रेरित किया। ऐसे ही वीर बालक थे जोरावर सिंह एवं फतेह सिंह।प्रत्येक व्यक्ति में वीरता के गुण होने चाहिए। वीरता तभी जगेगी जब उत्कृष्ट योगदान करने वाले वीरों को हम पढ़े, समझे, प्रेरणा ले तथा यथोचित सम्मान दें। यह प्रेरणा आप वीर बालकों जोरावर सिंह एवं फतेह सिंह जी से प्राप्त कर सकते हैं ।

कार्यक्रम मे विद्यालय के समस्त शिक्षक शिक्षिका एवं छात्र छात्राओ ने प्रतिभाग किया।