लखनऊ का प्रतिष्ठित योग भवन पिछले 65 वर्षों (1960-2025) से योग, चिकित्सा योग और ध्यान के क्षेत्र में निरंतर सेवा कर रहा है। जब देश में योग आज की तरह लोकप्रिय नहीं था, तब भी योग भवन ने समर्पण, ईमानदारी और लगन के साथ लोगों के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सशक्त बनाने का कार्य शुरू किया था। छह दशकों से अधिक समय तक लगातार सक्रिय रहना किसी भी संस्थान के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, और योग भवन ने यह उपलब्धि समाज की सेवा करते हुए अर्जित की है।योग भवन के नवनिर्मित परिसर का उद्घाटन 2002 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल विष्णु कांत शास्त्री द्वारा किया गया था। अपनी समृद्ध यात्रा के 65वें वर्ष पर 29 नवम्बर 2025 को संस्थान में एक भव्य सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में गुरु जी सुधीर शर्मा, जो करीब 50 वर्षों से योग भवन की सेवा और संचालन से जुड़े हैं, ने संस्थान के पूर्व योग शिक्षकों और सहयोगी कर्मचारियों को सम्मानित कर उनके योगदान के प्रति आभार व्यक्त किया।कार्यक्रम के बाद प्रसिद्ध कलाकार कलाश्री सैयद शमशुर रहमान और उनके दल द्वारा भगवान शिव पर आधारित भरतनाट्यम प्रस्तुति की गई, जिसने दर्शकों को मोह लिया।समारोह के समन्वयक और योग एवं ध्यान विशेषज्ञ सौमिल शर्मा ने कहा कि “योग गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित अमूल्य विरासत है, ठीक वैसे ही जैसे भारत विश्व का योग गुरु है। तनावमुक्त जीवनशैली के लिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन योग का अभ्यास अवश्य करना चाहिए।”योग भवन की निदेशक अरुणा शर्मा ने बढ़ते तनाव, अपराध और हिंसा के दौर में योग और ध्यान की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि आज के समय में यह पहले से कहीं अधिक आवश्यक है। उनके अनुसार, योग न केवल रोगों को ठीक करने में सहायक है, बल्कि तनाव, चिंता, अवसाद को कम करने और ऋतु परिवर्तन के समय प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी अत्यंत प्रभावी है।उन्होंने बताया कि लोग साइनसाइटिस, सर्दी-खांसी, एलर्जी, रक्तचाप, कम प्रतिरोधक क्षमता से होने वाले बुखार, अवसाद के दौर, मौसम बदलने से बढ़ने वाले जोड़ दर्द जैसी समस्याओं से पीड़ित होते हैं। ऐसे में प्रतिदिन 25–30 मिनट का योग अभ्यास एक मजबूत शरीर, संतुलित मन और शांत आत्मा के लिए पर्याप्त है। आधुनिक जीवनशैली की चुनौतियाँ—जंक फूड, पानी की कमी, अनिद्रा, अत्यधिक तनाव, अत्यधिक दायित्व—स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, और योग इन सबके बीच संतुलन बनाने का सरल मार्ग है, जिसके लिए किसी उपकरण या आर्थिक निवेश की आवश्यकता नहीं होती।समारोह में गुरु जी सुधीर शर्मा ने जिन वरिष्ठ सदस्यों और सहयोगियों को सम्मानित किया, उनमें शामिल हैंशशि श्रीवास्तव, अरुण पांडे, रूमा मेहता, जे.पी. दुबे, निधि गुप्ता, कल्पना सिंह, विजेंद्र सिंह, आर.आर. तिवारी, चंद्रप्रभा सिंह, शेर सिंह, नीति गुप्ता और आर. संतोष कुमार।भरतनाट्यम प्रस्तुति में भाग लेने वाले कलाकार थेअनुष्का प्रकाश, पंकज पांडे, व्रती सक्सेना, अरुणिमा सिंह, दीया चंद्रा, प्रजना श्रीवास्तव, राधिका शर्मा और अनंत शर्मा। प्रस्तुति की कोरियोग्राफी कलाश्री सैयद रामगुर रहमान द्वारा की गई।समारोह के अंत में यह संकल्प दोहराया गया कि भारत में प्रत्येक व्यक्ति को योग का अभ्यास अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए, ताकि योग की परंपरा और उसका शुद्ध ज्ञान सदैव जीवित रहे।