तुमने छोड़ा है यह शहर जबसे, कोई तेरा बीमार रहता है, साहिल प्रतापगढ़ी,,,,,,
अनुराग लक्ष्य, 1 दिसंबर
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता ।
साहिल प्रतापगढ़ी मुंबई में आज कल साहित्यिक और अदबी महफिलों में अपनी शायरी से लोगों को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं।
नौकरी पेशे में होते हुए भी शायरी के लिए भरपूर वक्त निकाल लेते हैं। साथ ही इस वक्त छोटे बड़े मुशायरे में भी शामिल हो जाते हैं। मैं सलीम बस्तवी अज़ीज़ी ब्यूरो प्रभारी अनुराग लक्ष्य मुंबई, आपको आज उनकी एक खास ग़ज़ल से आपको रूबरू करा रहा हूँ।
१- दर्द ही बेशुमार रहता है,
इश्क़ में कब करार रहता है ।
२- वो गले मिलते हैं मगर फिर भी,
दिल में उनके गुबार रहता है ।
३- बेहिजाबी में तुमने क्या देखा,
आइने को खुमार रहता है ।
४- तुमने छोड़ा है ये शहर जब से,
कोई तेरा बीमार रहता है ।
५- लौट के फिर नहीं वो आयेंगे,
फिर भी इक इंतजार रहता है ।
६- दर्द जिसने दिया है इस दिल को,
दिल उसी पे निसार रहता है ।
७- मां का गुस्सा तो इक दिखावा था,
मां की आंखों में प्यार रहता है ।
८- इश्क़ की कैफियत कहूं कैसे,
इक जुनूॅं सा सवार रहता है ।
९- रब की रहमत पे हमको ऐ *साहिल* ,
हर घड़ी ऐतबार रहता है ।
पेशकश, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी ब्यूरो प्रभारी अनुराग लक्ष्य मुंबई ।