राम वनवास की कथा सुन श्रोताओं के आंखों से छलके आंसू

 

कुदरहा, बस्ती: भगवान राम मर्यादा पुरूषोत्तम थे। अपने मर्यादा के पालन में उन्होंने बहुत दुख सहे। पिता की आज्ञा पर बनवास या जनता की आवाज पर पत्नी का त्याग हो। उन्होंने मर्यादा का पालन कर समाज को अनुपम संदेश दिया है। आज का युवक अपने पथ से बिचलित होकर माता पिता की अवज्ञा दिशाहीनता व जीवन मे गलत लक्ष्यों का निर्धारण कर कुंठित व परेशान है। ऐसे मे प्रभु श्री राम का जीवन दर्शन युवाओं के लिए अनुकरणीय रहेगा। उक्त सद्विचार कथावाचक अमरनाथ महाराज ने लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दौरान श्री राम जानकी मंदिर भरवलिया उर्फ टिकुइया में चल रही श्रीराम कथा में कही।

      प्रसंग को आगे बढ़ते हुए कहा कि बनवास के तीन कारण हैं। काम, क्रोध व लोभ तीनो ने मिलकर रामराज्य की जगह रामबनवास करा दिया और चौदह बर्ष के लिए भगवान को बनवास जाना पड़ा। सीता जी को तपस्विनी के वेश में देख सब भाउक हो गए। आगे आगे राम, उनके पीछे सीता, उनके पीछे लक्ष्मण व नगरवासी दौड़ रहे थे। साथी साथ राजा दशरथ और माता कौशल्या अभी पीछे-पीछे भाग रही थी। सभी रो रहे थे और सभी के आंखों से आंसू छलक रही थी। यह प्रसंग सभी श्रोता भाव विभोर हो उठे।

     रामकथा के अवसर पर ब्लाक प्रमुख कुदरहा अनिल दुबे, प्रधान राजेश यादव, अजय पाल, राम प्रकाश यादव व्यास पीठ की आरती उतार कर आर्शिवाद प्राप्त किया। उहोंने कहा कि सभी को धार्मिक कार्यक्रमों के सहभागिता निभानी चाहिए। युवाओं को जोडने की जरूरत है। जिससे समाज के लोगों को अच्छी प्रेरणा मिल सके। ऐसे कार्यक्रम में हम सभी  लोगों को विना भेद भाव के एक साथ होकर सहयोग करना चाहिए ।

कार्यक्रम आयोजक महंथ धीरेंद्र दास, प्रधान सोनू यादव, राम ललित यादव, प्रेम चंद्र पांडेय, अध्यक्ष दिलीप कुमार यादव, महंथ यादव, उग्रसेन पाल, जितेंद्र सिंह, सुरेंद्र यादव, दिलीप यादव, नरसिंह, जयसिंह, भालचंद्र, झिन्नान यादव, राकेश चालू, अमरजीत यादव, भालचंद्र, दुर्गेश यादव, अमर सिंह, राजमंगल, राजवंत सिंह, साहब राम सहित तमाम लोग मौजूद रहे।