दुग्ध सहकारी समितियों की उपविधियों में संशोधन, प्रबंधन को बनाया जाएगा अधिक लोकतांत्रिक

लखनऊ, उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास विभाग और दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति-2022 में किए गए महत्वपूर्ण संशोधनों के तहत दुग्ध सहकारी समितियों के प्रबंधन को अधिक लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में बदलाव किए जा रहे हैं। दुग्ध उत्पादकों, समितियों और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए प्रदेश की सभी दुग्ध सहकारी समितियों की उपविधियों में संशोधन आवश्यक हो गया है। इसी के तहत, दुग्ध आयुक्त एवं निबंधक, दुग्ध सहकारी समितियां उत्तर प्रदेश, लखनऊ राकेश कुमार मिश्र ने 3 मार्च 2025 को इस संबंध में आदेश जारी किया।संशोधन के तहत अब दुग्ध समितियों को अपने द्वारा संग्रहित संपूर्ण दूध उसी दुग्ध संघ को आपूर्ति करना होगा, जिसका वे सदस्य हैं। हालांकि, यदि दुग्ध संघ किसी कारणवश दूध खरीदने में असमर्थ होता है, तो समिति को यह स्वतंत्रता होगी कि वह अपना दूध अन्यत्र बेच सके, जिससे उसका व्यवसाय प्रभावित न हो। इसके अलावा, दूध की बिक्री से जुड़ी शर्तें और प्रतिबंध समिति की प्रबंध कमेटी द्वारा तय किए जाएंगे।नए संशोधन के अनुसार, यदि समिति की प्रबंध कमेटी में किसी सदस्य का स्थान आकस्मिक रूप से रिक्त हो जाता है, तो शेष कार्यकाल के लिए कमेटी के अन्य सदस्य सामान्य निकाय से एक नया सदस्य चुन सकेंगे। हालांकि, यदि प्रबंध कमेटी का कार्यकाल उसके मूल कार्यकाल के आधे से कम बचा हो, तो रिक्ति केवल उसी वर्ग या क्षेत्र के व्यक्ति से भरी जाएगी, जिसका प्रतिनिधि पूर्व में था।उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम-1965 की धारा-14(1) के तहत प्रदेश की सभी दुग्ध उत्पादक सहकारी संघों को निर्देश दिया गया है कि वे इस आदेश के 30 दिनों के भीतर अपनी उपविधियों में आवश्यक संशोधन करें और इसकी सूचना दुग्ध आयुक्त एवं निबंधक, दुग्ध सहकारी समितियां उत्तर प्रदेश को दें। यदि तय अवधि के भीतर संशोधन नहीं किया जाता है, तो दुग्ध उत्पादकों और समितियों के हितों की रक्षा के लिए अधिनियम की धारा-14(2) के तहत नियमानुसार निबंधन की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।यह संशोधन प्रदेश की दुग्ध सहकारी समितियों को अधिक स्वतंत्रता और सशक्त प्रबंधन देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे न केवल दुग्ध उत्पादकों को उचित अधिकार मिलेंगे, बल्कि उनके व्यवसाय को भी मजबूती मिलेगी।