🪷🪷 ओ३म् 🪷🪷
*वाटसप गुरुकुल*
🌹 कक्षा संख्या -२ 🌹
*पुनरावृत्ति सार*
कल दिनांक को हमने वाटसप गुरुकुल संख्या -१ में ब्रह्माण्ड के पांच पदार्थों (तत्वों) के नाम बताये थे। व प्रथम पदार्थ *शरीर* के बारे में बताया था कि शरीर तीन होते हैं *स्थूल शरीर,सूक्ष्म शरीर व कारण शरीर* क्रमश: गतांक से आगे……….
🌻 स्थूल शरीर का जन्म🌻
शरीर की उत्पत्ति परमात्मा अपने अनन्त ज्ञान व अनन्त सामर्थ्य से इस प्रकार करता है।सर्वप्रथम *प्रकृति के सूक्ष्म परमाणुओं को इकट्ठा करता है।उनसे प्रथम सूक्ष्म से स्थूल तत्व महत् तत्व को बनाता है। इसी महत शब्द को महान,प्रधान और बुद्धि नाम से भी शास्त्रों में कहा जाता है। महत से भगवान अहंकार नामक पदार्थ बनाते हैं।अहंकार से भगवान पांच तन्मात्राएं (शब्द,स्पर्श,रुप,रस,गंध), पांच ज्ञानेन्द्रियां ( आंख,कान,नाक,जिह्वा,त्वचा ),एक मन कुल= १६ पदार्थों को बनाता है।*
पुन: पूर्वोक्त *पांच तन्मात्राओं (इन्हें सूक्ष्म महाभूत भी कहते हैं। ) से भगवान पांच स्थूलभूत आकाश,वायु, अग्नि,जल,पृथ्वी तत्वों को बनाते हैं। इन्ही पांच तत्वों से भगवान ने आदि सृष्टि में अमैथुनी प्रकृया से समस्त योनियों के युगल शरीर यानि युवा नर-मादा बनाये।फिर इन युवा नर-मादाओं ने आकर्षण-प्रत्याकर्षण के प्रकृति विज्ञान से ईश्वर के वेदज्ञान,पुरुषार्थ व ईश्वर की कृपा से मैथुनी सृष्टि बनाई जो अभी तक चल रही है*।ये तो है स्थूल शरीर की रचना का वर्णन।इसके आगे पुन: सूक्ष्म शरीर व कारण शरीर का वर्णन होगा जिसकी चर्चा कल की *कक्षा संख्या-३* में करेंगे!
🌸 अति-विशेष 🌸
आप इस ज्ञान महाकुंभ के ज्ञान को अन्य लोगों को प्रेषित कर *अपना धर्म खाता* खोल सकते हैं।
आचार्य सुरेश जोशी
*वाटसप गुरुकुल महाविद्यालय आर्यावर्त साधना सदन* पटेल नगर बाराबंकी उ० प्र०