अनुराग लक्ष्य, 31 अक्तूबर
मुम्बई संवाददाता ।
दिए जलाओ प्यार के पर इतना रहे खयाल
औरों को खुशियाँ मिलें और तुम भी हो खुशहाल
कोई न भूखा रह जाए, कोई न प्यासा मर जाए
प्यार की दौलत बांट के सबको कर दो मालामाल ।
जी हां, आज इस दीपावली के पावन पर्व पर तो विशेष रूप से सबकी यही हार्दिक इच्छा होती है कि देश की जनता की खुशहाली के साथ साथ हमारे पास पड़ोसी भी इस दीपावली के पावन पर्व पर विशेष रूप से हमारे बीच भाईचारगी और मुहब्बत को बखूबी महसूस करते हुए सबके जीवन की मंगल कामना के गीत गाएं।
लेकिन जब किसी भी त्यौहार पर मंहगाई की मार पड़ जाती है तो वह तेवहार फीका हो पड़ ही जाता है। इस दीपावली पर भी मंहगाई की मार साफ दिखाई दे रही है, क्योंकि बच्चों के पाठकों से लेकर फुलझडियां, बिजली के झालर, मिष्ठान और आभूषणों पर भी जो मंहगाई दिख रही है उससे जनता का मन खिन्न हो रहा है। ऐसे आलम में आम इंसान कैसे किसी भी त्यौहार या पर्व को दिल खोलकर अपने परिवार के साथ मना सकता है। तब तो मजबूरन यह कहना ही पड़ता है, कि
जिधर भी देखिए ग़म की लकीर काली है
किसी के घर में अंधेरा कहीं दिवाली है।
अजीब रीति है दुनिया बनाने वाले की
कोई यहां पे शहंशाह कोई सवाली है।।