। बस्ती 12अगस्त।आर्य वीर दल बस्ती के तत्वावधान में स्वामी दयानन्द विद्यालय सुरतीहट्टा बस्ती में बाबू बन्धु सिंह की पुण्य तिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में सम्बोधित करते हुए आर्य समाज के प्रधान ओम प्रकाश आर्य ने बताया कि आज तरकुलहा देवी का मंदिर बहुत ही श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक माना जाता है लोग वहां अपनी मन्नतें पूरे करने के लिए देवी मां के चरणों में माथा टेकने जाते हैं, परंतु इससे जुड़ी बाबू बंधू सिंह की कहानी सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। यह जानकारी पीठ की प्रसिद्धि की कहानी डुमरी रियासत के बाबू शिव प्रसाद सिंह के पुत्र अमर बलिदानी बाबू बंधु सिंह जुड़ी है। बाबू बंधु सिंह का नाम उन देशभक्तों में पूरे सम्मान के साथ लिया जाता है, जो स्वाधीनता की पहली ही लड़ाई में अंग्रेजों के लिए आतंक का पर्याय बन गए थे। वह उन राजाओं और जमींदारों में शामिल थे, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना राजपाठ कुर्बान कर दिया। बाबू बंधु सिंह ने तरकुलहा के पास घने जंगलों में रहकर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था। वह जंगल में रहकर मां तरकुलहा की पूजा करते थे और अंग्रेजों का सिर काटकर मां के चरणों में चढ़ाते थे। उन्होंने अग्रेजों को भगाने की लिए गौरिल्ला युद्ध प्रणाली अपनाई थी। उनकी इस प्रणाली और अपने अफसरों को खोने से भयभीत अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार करने के लिए मुखबिरों का जाल बिछा दिया। लंबे प्रयास के बाद वह उन्हें धोखे से गिरफ्तार करने में सफल हो गए। गिरफ्तारी के बाद उन्हें फांसी लटकाते समय सात बार फांसी का फंदा टूट गया पर देवी मां से आशीर्वाद लेकर वे स्वयं फांसी के फंदे से हंसते हंसते झूल गए।
आर्य ने कहा कि आज देश की परिस्थितियां ऐसी हो गईं हैं कि ऐसे क्रांतिकारियों की चर्चा नहीं हो पाती है। सनातन संस्कृति को बचाने के लिए हमें सन्ध्या, स्वाध्याय, सेवा और संगठन को अपने जीवन में धारण करना होगा तभी हमारी संस्कृति सुरक्षित रह सकेगी। वैदिक संस्कृति के सुरक्षित रहने से ही सभी संस्कृतियां सुरक्षित और संरक्षित रह सकेंगी। कार्यक्रम में नवल किशोर चौधरी, अजीत कुमार पाण्डेय, शिव श्याम, आदित्यनारायण गिरी, अनीशा मिश्रा, दिनेश मौर्य, अरविन्द श्रीवास्तव, राज पासवान, नितीश कुमार आदि सम्मिलित रहे।
गरुण ध्वज पाण्डेय