परोपकार परमो धर्मः

कदम बढ़े “बाल”दान के महा अभियान पर

परोपकार परमो धर्म: यही भाव हैं मन के,
जन्मदिवस पर पाया यह नेक सुअवसर।

संसार में सबसे नेक और पुण्य का कार्य है ‘परोपकार’। यदि हम अपने कार्य से किसी को खुशी दे सकें, किसी के चेहरे पर मुस्कान ला सकें तो मनुष्य जन्म सार्थक हो जाएगा।
अपने शरीर की हर वस्तु स्वयं को बहुत प्रिय होती है परंतु अपने शरीर से कोई चीज़ किसी को दान देकर उपकार कर सकें तो आत्मिक खुशी के साथ पुण्य कार्य का फल भी मिलता है और उससे यदि पाने वाला लाभान्वित हो तो और भी कल्याणकारी होता है।
लगभग एक साल पहले मेरे पतिदेव श्रीमान महावीर प्रसाद जी कर्वा ने मुझे संवादपत्र में एक संवाद दिखाया जिसमें एक महिला द्वारा अपने बाल कैंसर रोगियों के लिए दान किया गया था। उस संवाद से प्रेरित होकर आज मैं कलावती कर्वा “षोडशकला” मेरे जन्मदिन के अवसर पर अपने बाल कैंसर रोगियों के लिए दान कर रही हूँ। मुझे आंतरिक खुशी मिल रही है और मेरे इस कार्य से प्रेरित होकर यदि कोई इस नेक कार्य में अपना योगदान देता है तो मेरा यह संदेश लिखने का मकसद फलिभुत हो जाएगा।
वैसै तो दुनिया में अनगिनत लोग परोपकार का काम करते ही है। कोई बात मालूम होती है और कोई चाहता ही नहीं उसका प्रचार प्रसार हो। मेरी भी सोच प्रचार प्रसार की कभी नहीं रही पर कुछ बातों की जानकारी आम आदमी को मालूम नहीं होती, सोशल मीडिया के द्वारा जानकारी सभी को मिल जाती।
कई लोगो से बात  करने के पश्चात मुझे ऐसा लगा कि इसकी जानकारी जागरूकता के लिए देना चाहिए।

स्वयं से शुरुआत करके
दे रही सभी को यह पैगाम,
कैंसर पीडित रोगियों को दे सकते
अपने बालों का दान,
आओं मिलकर चलाए
बाल देने का अभियान।

ईश्वर से प्रार्थना है कि मेरा सम्पूर्ण जीवन जगत कल्याण के लिए समर्पित हो।

कलावती कर्वा “षोडशकला”
कूचबिहार, पश्चिम बंगाल
9851310119

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