भूलना अच्छा लगता है
जो बात दिल को दुखाए
वो बात भूलना अच्छा लगता है
जिस्म से भी गहरे दिल की चोट को
भूल जाना अच्छा लगता है
अपमान का घूंट पीना
जहर से भी मुश्किल है
जब अपने ही ऐसा करते उनको
भूलना अच्छा लगता है
खुशी और ग़म में जो साथी नहीं हैं
अपने पराये का भाव जिनमें ज्यादा
ऐसे दोस्तों की जरूरत नहीं है
उनको भूलना अच्छा लगता है
सम्मान से बढ़कर नहीं है कुछ भी
भाईचारा कायम करते करते
हस्ती अपनी मिटानी नहीं
जो ऐसा करते उनको
भूलना अच्छा लगता है
स्वरचित एवं मौलिक रचना
डॉ अनुराधा प्रियदर्शिनी
मथुरा उत्तर प्रदेश