बेटी है तो सब हैं संभव,
जहाँ रहे वहाँ सब आसान
उसके हाथों में होता जीवन का त्योहार,
वो अपनों के लिए है सबसे अनमोल तोहफा तैयार।
बेटी है तो सब हैं संभव,
उसकी मुस्कुराहट से बदल जाता जग का मन भाव।
उसकी नज़रें होती हैं सबसे निर्मल,
वो जो देखती है उसके समझती है दिल का हर हाल।
बेटी है तो सब हैं संभव,
जब वो आँखें खोलती है तब होता है सुंदर सवेरा मेरा
उसकी हंसी से फूलों की महक आती है,
वो जो दूर से आती है नज़र प्यार का पिटारा होती है।
बेटी है तो सब हैं संभव,
उसके लिए मायका और ससुराल दोनों समान होता है
उसकी मासूमियत होती है सबसे ज्यादा अमूल्य,
उसके बिना तो जीवन आसान नहीं होता है
बेटी है तो सब हैं संभव,
उसके त्याग के बदले में दुनिया उसकी कायल होती है
उसके सपनों को पूरा करने का वादा करती है
और उसे बना जाता है दुनिया का सबसे खूबसूरत रिश्ता……
चिंतक साहित्यकार
डॉ अर्चना श्रेया