एक छोटे से गांव में रहने वाले लड़के का नाम रामु था। रामु बचपन से ही बहुत संघर्ष करता रहा था। उसके परिवार में बड़ी संख्या में सदस्य थे, जिन्हें समर्थन देने के लिए अपनी मेहनत से रामु कई तरह के काम करता रहता था।
एक दिन, रामु के पिता ने अचानक असमाधान का इशारा करते हुए उससे कहा, “तुम इस समय स्कूल छोड़ दो और घर में काम करना शुरू करो। हमें आर्थिक समस्या हो गई है और हम तुम्हारी मदद की आवश्यकता है।”
रामु ने अपने पिता के कथन से सहमत नहीं होकर इसे एक संघर्ष के रूप में देखा। उसे अपने अध्ययन के लिए बहुत समय दिया जा चुका था, और वह स्कूल छोड़कर किसी भी काम को करने के लिए तैयार नहीं था।
उसने अपने पिता से बोला, “पिताजी, मैं आपकी मदद करना चाहता हूं, लेकिन मुझे स्कूल छोड़ने के बजाय कुछ अन्य तरीके ढूंढ़ने की आवश्यकता होगी। आजकल इंटरनेट एक बड़ा साधन है और मैं इसका उपयोग करके कुछ करता हूं। मैंने बचपन से संघर्ष किया अब न करना चाहता ।मुझे पढ़ने दे सभी परेशानी दूर होगी।
चिंतक साहित्यकार
डॉ अर्चना श्रेया