गणेश वंदना

विनायक आओ घर मेरे,

दूर करो अज्ञान अंधेरे।

 

तुम हो दाता जग के भाग्य विधाता,

सारा जग तेरे चरणों में ध्यान लगाएं।

 

कृपा जिसे तेरी मिल जाए,

भव बंधन से सदा छूट जाए।

 

मैंने भी तुम्हें पुकारा,

कर दो सपना पूरी हमारी।

 

मैं भी गुण तेरे गाऊं,

गौरी पुत्र तोहे मनाऊं।

 

हे गणराज करो कृपा,

जय हो विनायक महाराज।

 

प्रकाश राय(युवा साहित्यकार)

समस्तीपुर,बिहार

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