अनुराग लक्ष्य, 26 अगस्त ।
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी, मुंबई संवाददाता ।
भाई बहन के अटूट प्यारी और विश्वास को जीवंत करने वाला तेवहार रक्षा बंधन इस साल मंहगाई की भेंट चढ़ता दिखाई दे रहा है।
मंहगी राखियों से बहनो के चेहरों पर मुस्कान की जगह कुछ मायूसी और उदासी झलक रही है है। इस मौके पर बाजार का जाएजा लिया गया तो कुछ चौंकाने वाली बाती सामने आईं।
हरीश राउत,,, दादर में राखी की दुकान लगाने वाले पिछले बीस वर्षों से हरीश राउत कहते हैं की लग रहा है इस साल राखी की लागत भी नहीं निकल पाएगी। लगता है घाटे में जाऊंगा क्यों इस साल राखियां कुछ मंहगी मिली हैं तो हम दुकानदार भी मजबूर हैं। बहने और माताएं कीमत पूछती तो हैं लेकिन चली जाती हैं।
अंजू विश्वकर्मा,,,, हर साल की तरह अंजू भी बाजार में गईं लेकिन मंहगी राखियों की शिकायत करते हुए कहती हैं कि जो राखियां अमूमन दस, बीस रुपए में मिल जाती थीं, वोह पचास से लेकर सत्तर रुपए तक बिक रही हैं।
अफसाना खातून,,, चीता कैंप की रहने वाली अफसाना खातून अपने भाइयों को हर साल राखी बांधती हैं। कहती हैं कि वैसे तो बाजार में एक से एक फैंसी राखियां आई हैं। लेकिन बाप रे बाप, इस साल तो राखियों के दाम आसमान छू रहे हैं। बड़ी मुश्किल से दो सौ रुपए में चार राखियां लाई हूं।
संजय पांडे,,, उत्तर प्रदेश के रहने वाले बोरीवली के दुकानदार ने अपनी पीड़ा कुछ यूं बताई, कि रक्षा बंधन जैसा तेवहार इतना प्यार और विश्वास का है कि मंहगाई के कारण न चाहते हुए भी दुकान तो लगा लिया लेकिन बाजार की रौनक नहीं दिखाई दे रही है। बहुत ही कम दुकानदारी हो रही है। फिर भी चूट फुट धंधा चल रहा है। आगे जो भी होगा देखा जायेगा। लागत ही निकल जाए तो खुशी होगी ।