अयोध्या। पावन सरयू तट के सहस्रधारा घाट पर स्टाल लगाकर हजारों श्रद्धालुओं काे शरबत व फलाहारी प्रसाद का वितरण किया गया। माैका था पुरूषाेत्तम सावन मास के पुनीत अवसर का। जिस पर साेमवार सायंकाल श्रद्धालु एवं भक्तों को अमृत प्रसादी बांटा गया। यह कार्यक्रम श्रीआंजनेय सेवा संस्थान विकास समिति नित्य सरयू महाआरती के तत्वाधान में श्रीकृष्ण सेवा संस्थान बीकानेर, राजस्थान द्वारा आयोजित रहा। सर्वप्रथम मुख्य अतिथि श्रीरामवल्लभाकुंज अधिकारी राजकुमार दास महाराज ने फीता काटकर अमृत प्रसादी का शुभारंभ किया। उसके बाद श्रद्धालुओं को शरबत और फलाहारी प्रसाद बांटा। इससे पहले श्रीआंजनेय सेवा संस्थान नित्य सरयू महाआरती के अध्यक्ष महंत शशिकांत दास महाराज व श्रीकृष्ण सेवा संस्थान बीकानेर अध्यक्ष श्याम सुंदर साेनी द्वारा मुख्य अतिथि अधिकारी संत राजकुमार दास और एसपी सुरक्षा पंकज पांडेय समेत अन्य संताें का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। इस अवसर पर पत्थर मंदिर के महंत मनीष दास भी उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि श्रीरामवल्लभाकुंज अधिकारी संत राजकुमार दास महाराज ने कहा कि यह बहुत ही पुनीत कार्य है। वह भी जब पुरूषाेत्तम व सावन मास चल रहा हाे। ताे इससे बढ़िया पावन सुअवसर और क्या हाे सकता है। संस्था स्टाल लगाकर श्रद्धालुओं को शरबत व फलाहारी प्रसाद के रूप में अमृत प्रसादी बांट रही है। इसके लिए संस्थान को बहुत-बहुत साधुवाद है। वह निरंतर इस तरह के सेवा कार्य करते रहें। संस्था के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। सेवा ही परमाे धर्म: अर्थात सेवा से बड़ा काेई धर्म नही है। सभी को सेवा के कार्याें से जुड़ना और लाेगाें काे प्रेरित करते रहना चाहिए। श्रीआंजनेय सेवा संस्थान नित्य सरयू महाआरती के अध्यक्ष शशिकांत दास महाराज ने कहा कि आज से सरयू तट के सहस्रधारा घाट, स्वर्गद्वार पर अमृत प्रसादी का शुभारंभ किया गया। इसके तहत स्टाल लगाकर श्रद्धालु, भक्ताें काे प्रतिदिन सुबह-शाम शरबत और फलाहारी प्रसाद का वितरण किया जायेगा। वहीं श्रीकृष्ण सेवा संस्थान बीकानेर, राजस्थान के अध्यक्ष श्याम सुंदर साेनी ने बताया कि संस्था द्वारा आगामी 15 दिनाें तक सरयू तट पर श्रद्धालुओं को शरबत और फलाहारी प्रसाद बांटा जायेगा, जिसका शुभारंभ संताें के सानिध्य में हाे चुका है। उन्होंने कहा कि इस नेक कार्य में किशन लाल जी, पवनकुमार धूपड़, दाऊलाल जी सहदेव, संजय साेनी, श्रीराम गाेपाल गाेमती देवी धूपड़, रणजीत धूपड़, ओमजी भाई, मांगी जी कुकरा, भेरूलाल माैसूण, नंदलाल जाेड़ा, गणेश जी माैसूण सींथल, ब्रजमाेहन जी, संजय लाकट, श्याम जी कड़ेला, माेहनलाल सुराण, राजकुमार जी, रामलाल जी ताेसावड़, राजकुमार जी मूंधड़ा, श्यामजी सारस्वत, सांगी लाल जी का विशेष याेगदान है।