सिंधी संस्कृति में बच्चों की लोक कथाओं पर संगोष्ठी और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी द्वारा सोमवार को “सिंधी संस्कृति में बच्चों की लोक कथाएं” विषय पर संगोष्ठी और बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन सिंधु भवन, चारबाग (मवैया), लखनऊ में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भगवान झूलेलाल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर की गई, जिसमें नानकचंद लखमानी, दीपक चॉदवानी, दुनीचन्द, सत्येंद्र भवनानी, प्रकाश गोधवानी और सुरेश छबलानी शामिल रहे।
संगोष्ठी के दौरान वक्ताओं ने सिंधी संस्कृति में बच्चों के गीत, लोरियों, लोक कथाओं और गुझारतू (पहेलियों) की समृद्ध परंपरा पर विस्तार से चर्चा की। श्रीमती हिमानी ने बताया कि सिंधी लोरियां बच्चों को न केवल सुलाती हैं, बल्कि उन्हें साहसी और चरित्रवान भी बनाती हैं। उन्होंने एक पारंपरिक सिंधी लोरी “सुम्ह मुंहिजा बारड़ा गिचीय जा हारड़ा, पींघो तुहिंजो झूले” का उदाहरण देकर इसकी व्याख्या की।श्रीमती नीता ने लोक कथाओं और पहेलियों के माध्यम से बच्चों के भाषा कौशल और सांस्कृतिक समझ को बढ़ाने की बात कही, वहीं वैष्णवी भाटिया ने खेलकूद के माध्यम से बच्चों को बचपन से सिंधी भाषा से जोड़ने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की गतिविधियां बच्चों में भाषा और संस्कृति के प्रति स्वाभाविक लगाव उत्पन्न करती हैं।संगोष्ठी के पश्चात आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में 35 बच्चों ने भाग लिया। बच्चों ने सिंधी लोकगीतों पर नृत्य, लाडा, लोरी, कविता और पल्लव जैसे सांस्कृतिक रंगों से सजी प्रस्तुति देकर उपस्थितजनों को मंत्रमुग्ध कर दिया। निर्णायक मंडल में सुधानचंद चंदवानी, कनिका गुरवानी और लाजवंती लालवानी शामिल थीं।कार्यक्रम में लखनऊ के सिंधी समाज के प्रमुख गणमान्यजन — अशोक चांदवानी, दिनेश मूलवानी, अनूप, डॉ. कोमल असरानी, श्रीमती कनिका गुरूनानी सहित अन्य समाजसेवी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में अकादमी के निदेशक अभिषेक कुमार अखिल ने सभी प्रतिभागी बच्चों और आगंतुकों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि “इस प्रकार की सांस्कृतिक सहभागिता न केवल बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाती है, बल्कि अकादमी को भी आगे ऐसे आयोजनों के लिए प्रेरित करती है।” संयोजक प्रकाश गोधवानी ने सभी उपस्थितजनों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित कर कार्यक्रम का समापन किया।