भगवत कथा का भक्तों ने किया अमृतपान – जगतगुरु स्वामी श्रीधराचार्य जी महाराज

अयोध्या –  अशर्फी भवन मैं पुरुषोत्तम मास के पावन अवसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन प्रातः काल 121 कल सो से सरयू जल दूध दही सर्वश्री जल पंचामृत फल जूस के द्वारा अशर्फी भवन के आराध्य भगवान श्री लक्ष्मी नारायण का विशेष अभिषेक पुष्पों के द्वारा भव्य श्रंगार अष्टोत्तर शत तुलसी पुष्प अर्चन एवं श्री सुदर्शन लक्ष्मी नारायण महायज्ञ की पूर्णाहुति मध्यान्ह में संपन्न हुआ 51ब्राह्मणों द्वारा स्वर श्रीमद् भागवत पाठ का विश्राम हुआ महाराज श्री ने सभी भू देवों को वस्त्र दक्षिणा भेंट की व्यास पीठ पर विराजित अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री धराचार्य जी महाराज भागवत कथा का विस्तार करते हुए कहते हैं मां भगवती जगतजननी लक्ष्मी स्वरूपा रुकमणी जी के द्वारिका आ जाने पर द्वारिका नगरी की शोभा और बढ़ जाती है प्रभु श्री कृष्ण द्वारिका में अनेकों लीलाएं करते हैं भगवान के बचपन का मित्र सुदामा अपनी पत्नी सुशीला के बार बार कहने पर प्रभु श्री कृष्ण द्वारिकाधीश से मिलने के लिए जाते हैं सुदामा के आगमन की सूचना पाकर अकारण निधि करुणा वरुणालय द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण नंगे पैरों भागकर द्वार पर आकर बचपन के मित्र सुदामा को अपने हृदय से लगा लेते हैं रुकमणी आदि सभी पटरानियों को अचंभा होता है कि राजाधिराज द्वारिकाधीश प्रभु इस दिन हीन व्यक्ति को हृदय से लगाए हैं श्री कृष्ण सुदामा को दिव्य आसन पर बिठाते हैं चरण वंदन करते हैं सुदामा के द्वारा लाए हुए चावल को प्रभु प्रसाद रूप में पाते हैं अपनी जैसी संपत्ति ब्राह्मण सुदामा को प्रभु देते हैं सुदामा चरित्र से प्रेरणा मिलती है प्रभु चरणों में जब भी जीव जाए सुदामा जी की तरह बिना फल प्राप्ति की इच्छा के जाए दीनबंधु दयासिंधु भगवान शरणागत जीव को अपना लेते है भागवत कथा के रसास्वादन को करके जो जीव भक्ति ज्ञान वैराग्य में होकर परमात्मा के मार्ग को अपना लेते हैं उन्हें इन 84 हजार योनियों में नहीं भटकना पड़ता परमपिता परमात्मा अपने चरणो में उन्हें स्थान देते हैं भागवत कथा के सभी चरित्र प्रेरणास्पद है हमें भागवत कथा को सुनकर भक्ति मार्ग को अपनाते हुए परोपकार की भावना से जीवन यापन करना चाहि सभी भक्तजन कथा को सुनकर आनंदित हो रहे

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