*”कौन हो तुम”*
प्यार की धड़कन है तुम,
मेरे दिल की गहराई में तुम।
हर पल तुम्हारी यादें,
मेरे जीवन की सच्चाई में तुम।
अनुराग की रश्मियाँ तुम्हारे लिए,
मेरे मन को आलोकित करती हैं।
तुम्हारे बिना अधूरा मैं,
तुम्हारे साथ ही पूर्णता है।
स्नेह की वर्षा तुम्हारे आगमन से,
मेरे जीवन को समृद्ध करती है।
तुम्हारी मुस्कान में बसी है,
मेरी जिंदगी की सारी खुशियाँ।
मोहब्बत की राहों में तुम्हारे साथ,
मेरे कदम तुम्हारे साथ चलते हैं।
तुम्हारे बिना नहीं है जीने का मजा,
तुम्हारे साथ ही है सच्ची जिंदगी।
आसक्ति की बेड़ियों में बंधकर,
तुम्हारे प्रति मेरा मन बंधा है।
तुम्हारे बिना नहीं है कोई अर्थ,
तुम्हारे साथ ही है जीवन का मर्म।
लगाव की धागों से बंधा है मेरा मन,
तुम्हारे प्रति मेरा लगाव सच्चा है।
तुम्हारे बिना नहीं है कोई चैन,
तुम्हारे साथ ही है सच्चा सुख।
प्रेमाभक्ति की भावना से भरा मेरा मन,
तुम्हारे प्रति समर्पित है।
तुम्हारे चरणों में समर्पण है मेरा,
तुम्हारे प्रेम में ही है मेरी जीत।
स्वरचित एवं भावपूर्ण
मुकेश कविवर केशव सुरेश रूनवाल,
जोधपुर (राज.)