पर्यावरण और वृक्ष
धरा पर वृक्ष हों तो जीवन बन जाती है हरियाली,
वृक्षों के छांव में बैठते ही मिलती है परम शांति।
ऐसा प्रतीत होता है कि धरा पर ही स्वर्ग है,
हमारे जीवन में मिलती आनंद ही आनंद है।
रंग-बिरंगे पुष्पों से सजी हुई,
हरे-भरे पत्ते,फलों से लदे हुए।
आहार का सबसे सर्वोत्तम संसाधन,
भूख से उदर में ना होती कोलाहल।
बाग-बगीचे कितने अच्छे,
फूलों की पंखुड़ियां लगते बच्चे।
प्रकृति की क्या खूबसूरत नज़ारे हैं,
अहा! देखकर फूलों नहीं समाए हैं।
सुनो जी ! एक बात कहूं,
हाँ जी! जल्दी से कहो।
मेरी बातें एक जीवन में मानना,
पर्यावरण से आजीवन नाता रखना।
रोज़ एक वृक्ष लगाना,सींचित करना,
प्राणवायु है, इसे कभी नहीं भूलना।
पर्यावरण एक प्रकृति घटक,
जीवन जीने का यह अद्भुत मंत्र।
वृक्ष एवं पर्यावरण के बिना जीवन है अधूरी,
वृक्षों की कटाई करना, है सबसे बड़ी मजबूरी।
आओ हम सब मिलकर वृक्ष लगाएं,
अपने जीवन को खुशहाल बनाएं।
स्वरचित रचना
सादर – प्रकाश राय, समस्तीपुर, बिहार