शीर्षक-माँ की बोली मीठी लोरी

माँ की बोली मीठी लोरी,

सुनूँ उसे कर जोरी,

सिर पर हाथ फेर,

मुझे पुचकारती।

 

हँसता जब जोर से,

काजल नैन कोर से,

माथे पर लगा रोज,

नजर उतारती।

 

मन पीर पढ़ लेती,

चक्षु नीर गढ़ लेती,

ईश पूज पूज मुझे,

कष्टों से उबारती।

 

भूखे पेट रह जाऊं,

बिन माँ ना रह पाऊं,

इसीलिए लाल कह,

मुझे ही पुकारती।

 

डॉ. कृष्ण कान्त मिश्र ‘कृष्ण’

आजमगढ़ उ.प्र.