बस्ती 27 जुलाई 2023 भारत देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में उत्तर प्रदेश का अवदान अतुलनीय है। हमारी विरासत हमारे समग्र उन्नयन का उत्स रही है। ऐसी समुन्नत विरासत को संरक्षित रखने, संवर्द्धित करने एवं जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उसे ऊर्जा प्रदान करने वाली महती शक्ति के रूप में अक्षुण्ण रखने का कार्य आंचलिक क्षेत्रों के जीवन्त कलाकारों द्वारा आज भी किया जा रहा है। ऐसी विचार प्रेरक पृष्ठ भूमि में शासन स्तर पर यह अभिमत बना है कि समस्त आंचलिक क्षेत्रों में संस्कृति को अक्षुण्ण रखने वाली समस्त सांस्कृतिक मण्डलियों को मानवर्द्धन स्वरूप वाद्ययंत्र इत्यादि प्रदान किये जाए। ग्राम पंचायत स्तर पर स्थानीय लोक कला एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के सुचारू रूप से संचालन, प्रशिक्षण, प्रस्तुतीकरण एवं गुरू शिष्य परम्परा के निर्वहन हेतु प्रदेश की ग्राम पंचायतों को वाद्ययंत्र उपलब्ध कराने हेतु संस्कृति विभाग, उ.प्र. द्वारा कार्ययोजना तैयार की गई है।
यह जानकारी देते हुए जिलाधिकारी श्रीमती प्रियंका निरंजन ने बताया कि ग्राम पंचायतों को एक सेट वाद्ययंत्र (हारमोनियम, ढोलक, झांज, मंजीरा, करताल अथवा घुंघरू इत्यादि) की खरीद हेतु संस्कृति विभाग, उ.प्र. द्वारा अनुदान दिया जायेगा। वाद्ययंत्र के एक सेट (हारमोनियम, ढोलक, झांज, मंजीरा, करताल अथवा घुंघरू इत्यादि) की खरीद हेतु एक सेट वाद्ययंत्र की धनराशि रू. 30,000=00 से अधिक होने पर संस्कृति विभाग, द्वारा रू. 15,000=00 तक का अधिकतम अनुदान सम्बन्धित ग्राम पंचायत को दिया जायेगा, शेष धनराशि सम्बन्धित ग्राम पंचायत द्वारा वहन की जायेगी। वाद्ययंत्रों के सेट पर संस्कृति विभाग, उ.प्र. का अंकन कराया जाना अनिवार्य होगा।
योजना के अन्तर्गत प्रथम चरण में जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक जनपद की 50 ग्राम पंचायतों, जहाँ सांस्कृतिक गतिविधियाँ निरन्तर संचालित की जाती हों, का चयन कर संस्कृति विभाग, को संस्तुति सहित प्रेषित किया जायेगा। डीएम से पर्याप्त संख्या में आवेदन प्राप्त न होने की स्थिति में जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषद के माध्यम से अग्रसारित आवेदन पत्र सीधे भी स्वीकार किये जा सकेंगे। प्रदेश के ग्रामों में ग्रामीण पर्यटन हेतु चयनित 229 ग्राम को सम्मिलित किया जायेगा। पूर्व से भजन कीर्तन मण्डली/गुरू शिष्य परम्परा, स्थानीय लोकगीत/लोकनृत्य, भजन, संस्कार गीत, नुक्कड़ नाटक आदि सांस्कृतिक कार्यक्रमों का संचालन करने वाली ग्राम पंचायतों को अनुदान दिये जाने में प्राथमिकता दी जायेगी।
योजना के लिए आवेदन करते समय आवेदन पत्र के साथ क्रय किये जाने वाले वाद्ययंत्रों का विवरण तथा क्रय इस्टीमेट मूल रूप में संलग्न करना होगा। अनुदान की धनराशि सीधे आवेदक ग्राम पंचायत के खाते में हस्तान्तरित की जायेगी। वाद्ययंत्रों के लिए दी गई व्यवस्था के तहत विभाग से अनुदान प्राप्त होने के पश्चात् एक माह के अन्दर वाद्ययंत्रों का क्रय करके बीजक एवं वाद्ययंत्रों के छायाचित्र संस्कृति विभाग को उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। ऐसा न करने की स्थिति में वसूली की कार्यवाही करने का अधिकार निदेशक, संस्कृति के पास सुरक्षित रहेगा।
योजनान्तर्गत क्रय किये गये वाद्ययंत्रों के रखरखाव एवं मरम्मत का दायित्व सम्बन्धित ग्राम पंचायत का होगा। प्रत्येक ग्राम पंचायत द्वारा ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा माँगे जाने पर वाद्ययंत्र सांस्कृतिक आयोजनों हेतु उपलब्ध कराये जायेंगे, जिसका अंकन एक पृथक् रजिस्टर में किया जायेगा। वित्तीय वर्ष की समाप्ति के पश्चात् प्रत्येक ग्राम पंचायत द्वारा कराये गये सांस्कृतिक आयोजनों का विवरण संस्कृति विभाग को प्रेषित करना होगा। वाद्ययंत्रों का उपयोग उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक उन्नयन, सांस्कृतिक विरासत का रक्षण, पर्यटन संवर्धन, स्वच्छ भारत मिशन, सर्व शिक्षा अभियान, महिला सशक्तिकरण, बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ, ग्रामीण संस्कृति को अक्षुण्ण रखने तथा सरकार द्वारा संचालित लाभार्थी योजनाओं के प्रचार-प्रसार इत्यादि हेतु किया जायेगा। जिलाधिकारी/जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषद, उत्तर प्रदेश की संस्तुति के क्रम में योजना के तहत उत्कृष्ट प्रस्तुतीकरण करने वाले दलों को पुरस्कृत भी किया जाएगा। प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले दलों को क्रमशः 51, 21 व 11 हज़ार रूपये का पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
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