,प्रतापगढ़। अपर जिलाधिकारी त्रिभुवन विश्वकर्मा ने बताया कि बारिश का मौसम आते ही सर्पदंश की घटनायें बढ़ जाती है। बरसात के समय सांपों के बिल में पानी भर जाने की वजह से सांप यहां-वहां अपना आवास आवासीय क्षेत्रों में विशेषकर ग्रामीण इलाकों के घरों में, लोगों के खलिहानों में बना लेते हैं। निवास करने वाले लोगों को सांप के काटने का भय हमेशा बना रहता है। ऐसी अप्रिय स्थिति से बचने के लिये किसी भी कूड़ा करकट वाली जगह, खलिहान में, पशु शालाओं में एवं अनाज के ढेर में जाने से पहले सावधानी बरतने की आवश्यकता है। साथ ही रात में निकलते समय टॉर्च एवं लाठी को लेकर निकलना चाहिये जिससे किसी भी दुर्घटना से बचा जा सके। यदि किसी हालत में सांप काट ले तो झाड़-फूक की बजाए सरकारी अस्पताल में तुरन्त भेजे जहां पर एंटी स्नैक वेनम इंजेक्शन की उपलब्ध है। समय से पहुंचने पर जान बचाई जा सकती है। झाड़-फूक में अनावश्यक समय व्यतीत होने के बाद चिकित्सालय ले जाने पर विशेष लाभ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सांप काटने पर विष लोगों के शरीर में चला जाता है। खून के माध्यम से वह पूरे शरीर में फैल जाता है और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। सांप काटने के बाद शरीर को जाने वाली नसों को किसी अंगौछे या सूती कपड़े से बांध दें। सांप ने जिस स्थान पर काटा है उस स्थान को बीटाडिन या स्क्रब साल्यूशन से साफ करें। शरीर में विष न फैल पाये इसलिये पीड़ित को तत्काल अस्पताल में भर्ती करायें। मरीज को तनाव न होने दे उसे शांत रखने की कोशिश करे। पीड़ित व्यक्ति के शरीर से घड़ी, कंगन, अंगूठी, पायल, चेन आदि उतार दें। पीड़ित को जगाकर रखें, उसे सोने न दे, पीड़ित को सीधा लिटाकर रखें, शांत रखने से जहर फैलने में रूकावट होती है।