मानवीय भूल का कारण

क्या सिग्लन सिस्टम और दूरसंचार की व्यवस्था आधुनिक मानदंडों पर खरी थी और इससे बावजूद मानवीय भूल हुई? और क्या ऐसी संवेदनशील ड्यूटी निभाने के लिए मानव को जो उचित परिस्थितियां मिलनी चाहिए, वह वहां मौजूद होने के बावजूद ये हादसा हुआ?

ओडिशा के बालासोर में पिछले दो जून को हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना के बारे रेल सुरक्षा आयुक्त की जांच इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि यह हादसा “मानवीय भूल” के कारण हुई। इस भूल के लिए सिग्नल और दूरसंचार विभाग दोषी था। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जांच रिपोर्ट रेल मंत्री को सौंप दी गई है, लेकिन सरकार ने अभी इसे स्वीकार नहीं किया है। इस जांच का एक मतलब यह है कि हादसे के पीछे तोडफ़ोड़ का अंदेशा खारिज हो जाता है। इसी अंदेशे के कारण यह जांच सीबीआई को भी सौंपी गई थी। बहरहाल, जितनी सूचनाएं सामने आई हैं, उनसे इस पर रोशनी नहीं पड़ती कि मानवीय भूल का कारण क्या था? क्या सिग्लन सिस्टम और दूरसंचार की व्यवस्था आधुनिक मानदंडों पर खरी थी और इससे बावजूद यह भूल हुई? और क्या ऐसी संवेदनशील ड्यूटी निभाने के लिए मानव को जो उचित परिस्थितियां मिलनी चाहिए, वह वहां मौजूद होने के बावजूद यह हादसा हुआ? ये सवाल इसलिए अहम हैं, क्योंकि रेलवे में सुरक्षा संबंधी स्टाफ में भारी कमी और तकनीकी व्यवस्थाओं के कमजोर पडऩे की खबरें अक्सर आती रहती हैँ।

अक्सर ऐसी बुनियादी और ढांचागत समस्याएं मानवीय भूल की वजह बन जाती हैं। बालासोर में ऐसा हुआ या नहीं, यह कहने की स्थिति में हम नहीं हैं। बल्कि लोगों को अपेक्षा इस बात की है कि इस हादसे की होने वाली जांच में इस पूरी पृष्ठभूमि को खंगाला जाए। जिस हादसे में 291 जानें गईं और लगभग 900 लोग जख्मी हुए, उसे सिर्फ यह सोच कर नहीं भुलाया जा सकता कि किसी कर्मचारी की भूल से यह सब हो गया। या किसी एक कर्मचारी या एक विभाग के कर्मचारियों को दंडित करना भी पर्याप्त नहीं होगा। मुद्दा यह है कि भारतीय रेल की बुनियाद कमजोर पड़ती चली गई है। अगर उसे दुरुस्त नहीं किया गया, तो हादसों से बचना मुश्किल होगा। हकीकत यह है कि छोटे-मोटे हादसे आम तौर पर होते रहते हैं, जिन पर उनसे संबंधित लोगों के अलावा किसी और का ध्यान तक नहीं जाता। बालासोर दुर्घटना अपने भीषण रूप के कारण चर्चित हुई। तो यह मौका पूरे संदर्भ पर स्पॉटलाइट डालने का है।

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