ईश्वरीय वाणी वेद -आचार्य सुरेश जोशी

🦜 *ओ३म्*🦜
📚 ईश्वरीय वाणी वेद 📚
*ओ३म् सं गच्छध्वं सं वो मनासिं जानताम्*
*देवा भागं यथा पूर्वे संजानाना उपासते* ‌।
।। अथर्ववेद ६/६४/१।‌।
🌻 *मंत्र का पदार्थ*🌻
हे मनुष्यों ! तुम लोग 🏵️ संगच्छध्वम् = मिल कर चलो । 🏵️ संवदध्वम् = संवाद अर्थात् प्रेम पूर्वक आपस में बात करो। 🏵️ व: मनांसि = तुम्हारे मन मिलकर सत्या सत्य निर्णय के लिए 🏵️ संजानताम् = सदा विचार करें। जैसे 🏵️ पूर्वे देवा: = प्राचीन काल में विद्वान लोग 🏵️ संजानाना = परस्पर विचार करके, सत्या सत्य का निर्णय करके 🏵️ भागम् = अपने अपने उपभोग के भाग को 🏵️ उपासते। = प्राप्त करते आए हैं अर्थात प्राचीन काल से विद्वानों की यह प्रथा चली आती है कि *मन -वचन -कर्म* से मिलकर रहें और प्रेम से निर्णय करके अपने -अपने हिस्से की चीजों का उपभोग करें।
🐦 * *मंत्र की मीमांसा*🐦
इस मंत्र में परमात्मा ने 🌳 व्यक्ति, परिवार, राष्ट्र, समाज से लेकर विश्वशांति 🌳 का मार्ग प्रशस्त किया है। जिसके मुख्य विंदु हैं।(१) संगठन 🍁(२) प्रेम 🍁 (३) सत्य 🍁 (४)सम्यक् चिंतन 🍁(५) पूर्वजों का अनुकरण।
संसार में सभी प्राणी अपने -अपने समूह में रहना पसंद करता है और मनुष्य भी उसी का एक हिस्सा है।आज जो गगनचुंबी इमारतें 🌱 प्रकृति के नियमों का उल्लंघन 🌱 करके बन रही हैं उनका उद्देश्य भी मनुष्य को एक संगठन ने रहना है। परंतु फिर भी आज का मनुष्य 🪷 संगठित 🪷 नहीं है। जातिगत आरक्षण 🌸 वर्गवाद 🌸 मत -पंथो के विवाद 🌸 धार्मिक उन्माद 🌸 राजनीतिक अस्थिरता 🌸 बढ़ती हुई भोग-विलासिता 🌸 राष्ट्रों के संघर्ष इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। वैदिक ऋषियों का संदेश है।
मिल के चलो! मिल के चलो!! मिल के चलो!!!
ऋषियों की संतान सदा मिल के चलो !(१)
एकता में जिंदगी की उन्नति का राज है।
एक हो के चलना अपनी देश की आवाज है।
देश की स्वतंत्रता व रक्षता के प्राण सदा मिल के चलो!
लक्ष्य है महान सदा मिल के चलो !!
इसी का नाम है 🌾 संगच्छध्वम् 🌾 आगे मंत्र में कहा है 🌴 *व: मनांसि संजानताम्*🌴 अर्थात् हमारे मन साथ मिलकर विचार करें। विचार सबसे प्रबल वस्तु है, अतः समाज -निर्माण का उत्कृष्ट साधन है 🍃 परस्पर विचार 🍃 करना है। झगड़ा विचारों के मतभेद से आरंभ होता है। मैं कुछ सोचता हूं,आप कुछ सोचते हैं तो बात -बात में झगड़ा हो जाता है। इसका एक ही उपाय है 🧘 बैठकर विचार विनिमय करना।
उठता है विचार तो उठता है आदमी।
गिरता है विचार तो गिरता है आदमी।।
आचार्य सुरेश जोशी
🕉️ वैदिक प्रवक्ता 🕉️

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