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अनुराग लक्ष्य, 9 जून
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुम्बई संवाददाता।
बीती शाम बांद्रा के होटल रंग शारदा के सभागार में बज्म e इंशाद की जानिब से एक अदबी नशिष्त का आयोजन किया गया, जिसकी सदारत डॉक्टर सागर त्रिपाठी ने की, और नेजामात के फराएज को अंजाम दिया यूसुफ दीवान ने।
प्रोग्राम का आगाज़ शयरा रीतिका रीत के कलाम,,
,,वोह करिश्मात नहीं करते हैं
जो तेरी बात नहीं करते हैं,,
से हुआ, तदुप्रांत शायरा तबस्सुम रिदा ने अपनी गजल के शेर,
,, मेरे लफ्ज़ों को बेजुबां करके
थम गया वक्त सब बयां करके,,,
सुनाकर नशिष्त को नई रंगतव
बख्शी।
इसी क्रम में अश्विनी मित्तल ने,
,, एक बच्ची को देखा है हंसते हुए
अब मुझे रोने का दिल नहीं करता,,
सुनाकर अपनी मौजूदगी का भरपूर एहसास कराया।
इसी फेहरिस्त में माधव नूर ने भी अपने कलाम से खूब समां बांधा , उनका शेर,
,,,किस कदर थाम लिया चाक जिगर देख ज़रा
मेरे महबूब मेरा दस्त ए हुनर देख ज़रा,,
हिंदी गजलकार अनिल गौड़ का कलाम भी समयीन ने खूब सराहा, खासकर उनका यह शेर,
,,, एक कंपन ह्रदय में होता है
जाने क्या क्या परडय में होता है,,
इसी फेहरिस्त में इस प्रोग्राम के रूह ए रवां नवीन जोशी,नवा, के कलाम को भी समायीन हजरात ने खूब सराहा, खासकर उनका यह कलाम,
,,, हुस्न क्या दोगे हमें, और अदा क्या दोगे
हमतो आशिक हैं हमें दिल के सिवा क्या दोगे,,,सुनाकर रूमानियत की चासनी बिखेरी।
इसी फेहरिस्त में, मुंबई की उभरती हुई शायर पूनम विश्वकर्मा ने अपने न्यारी गीतों और गजलों से महफिल को नई ऊंचाई परदान की,
,,, तुमसे तुमको चुराने की हसरत,
खुद को तुमसा बनाने की हसरत,
ऐ मेरे ख़्वाब तेरी नीदो में,
ख़्वाब बनकर के आने की हसरत,,
इनके अतिरिक्त शायर यूसुफ दीवान, सलीम मुहीउद्दीन, अजय आई ए एस, ज्योति त्रिपाठी ने भी अपने अपने कलाम से खूब दाद ओ तहसीन हासिल की।
और, अंत में सदारत कर रहे डॉक्टर सागर त्रिपाठी का कलाम,
,,, हर एक लफ़्ज़ से कानों में शहद घोल गया
यह कौन है जो उर्दू ज़बान बोल गया,, सुनाकर अपनी संजीदगी का एहसास कराया।
तकरीबन 6 घंटे तक चली इस नशिष्त को सामयीन हजरात ने अपनी मौजूदगी से एक यादगार नशिष्त बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।