मिलकर भी यदि मिले नहीं तो,
कोई क्या वह रिश्ता माने।
कौन भला जज्बात समझता,
प्यार का मोल कोई ना जाने।
छोड़ गए हो कंटक पथ पर,याद न तुमको मेरी आई।
पल पल राह तकूंँ प्रियतम मैं,
दुख की बदली मन में छाई।।
याद आ रहे वे गुजरे पल,जब दोनों थे प्रेम दिवाने..
कौन भला जज्बात समझता,
प्यार का मोल कोई ना जाने।।
बिना तुम्हारे रैन न गुजरे,नयना अविरल नीर बहाते।
अधर पुकारें तुम्हें मगर तुम,
आसपास भी नजर न आते।।
किसे सुनाऊंँ अपनी उलझन,
दिल के ये अनगिनत फसाने..
कौन भला जज्बात समझता,
प्यार का मोल कोई ना जाने।।
तुमको अपना माना पर तुम,
छोड़ गए कर नए बहाने।
कैसे भूलें साथ प्रेम के,गाए हमने हसीं तराने।।
हुई खता क्या मुझसे साथी,बन बैठे जो तुम बेगाने..
कौन भला जज्बात समझता,
प्यार का मोल कोई ना जाने।।
अंजना सिन्हा “सखी “
रायगढ़