मोबाइलमय जीवन-सुनील चौरसिया ‘सावन’

मोबाइलमय जीवन

विष है मोबाइल , अमृत है मोबाइल

 मर गयी संवेदना, जीवित है मोबाइल

भोजनालय में मोबाइल, शौचालय में मोबाइल 

लड़खड़ाने लगी भक्ति, देवालय में मोबाइल 

मन में मोबाइल, मनन में मोबाइल 

मुरझाने लगी ज़िन्दगी, जीवन में मोबाइल

बचपन में मोबाइल, यौवन में मोबाइल

धूमिल हुई रोशनी, नयन में मोबाइल 

जन्म में मोबाइल है, मरण में मोबाइल

हम हैं पाताली, गगन में मोबाइल

रोजी है मोबाइल, सेज है मोबाइल

हम हैं अधीन, अंग्रेज है मोबाइल

सुनील चौरसिया ‘सावन’

स्नातकोत्तर शिक्षक (हिन्दी)

केन्द्रीय विद्यालय संगठन।

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