माखन या मिट्टी जों मिले प्रसन्नता से ग्रहण करना चाहिए

मुंडेरवा। स्थानीय थाना क्षेत्र के ग्राम दीक्षापार में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर कहा की भगवान ने भक्तों को आनंद देने के लिए अनेक माधुर्य भरी बाल लीलाएं की। सखाओं के साथ गोपियों के घर से खूब माखन चुरा के खाया। उक्त विचार महाकाल से पधारे महामृत्युंजय पीठाधीश्वर स्वामी प्रणव पुरी जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किया।
महाराज जी ने कहा की यूं कहें सबके घर भोग लगाने गए। महाराज जी ने कहा गोपिया भी कान्हा से अत्यंत प्रेम करती थी चाहती थी कि कृष्ण उनके घर का मखान खाएं ।माखन चोरी करते हुए एक बार प्रभु ने मिट्टी खाली। तब उनके शाखाओं ने यशोदा मैया से शिकायत कर दी । अर्थात जब आप माखन खाएंगे तो सब साथ रहेंगे लेकिन मिट्टी खाते समय कोई नहीं रहेगा किंतु हमको माखन मिले या मिट्टी दोनों को सहर्ष ग्रहण करना चाहिए। महाराज जी ने कहा की अर्थात सुख हो या दुख संपत्ति हो या विपत्ति दोनों का समान भाव से स्वीकार करना चाहिए ।भगवान ने वृंदावन में अनेक राजाओं का वध किया ।ब्रह्मा जी को भी मोहित कर दिया ।महाराज जी ने कहा कि ब्रह्मा जी ने क्षमा मांगी। वास्तव में प्रभु की कृपा का जो भी व्यक्ति प्रतिक्षण अनुभव करता रहता है वह भगवान के धाम का अधिकारी बन जाता है ।समस्या यह है कि हम लोग भगवान ने जो दिया है उसका धन्यवाद कम देते हैं जो नहीं मिला उसके लिए कोषते अधिक है। यह नहीं सोचते कि सबसे दुर्लभ मनुष्य शरीर देकर प्रभु ने कितनी बड़ी कृपा की है।मुख्य यजमान के रूप में रूप में कैप्न रमाकांत शुक्ल, श्रीमती चंद्रवती देवी, तथा परिवर के अन्य सदस्यों के साथ प्रवचन के समय उमाकांत शुक्ल, शशिकांत शुक्ल, अमित शुक्ल, शुक्ल, त्रिपुरारी पांडेय,राम अवध पांडे, रामचंद्र शुक्ल, चिंता हरण शुक्ल, मोहन शुक्ल मेवालाल शुक्ल, सहित तमाम महिला व पुरुष उपस्थित रहे। कथा के मुख्य आयोजक उमाकांत शुक्ल ने समस्त क्षेत्र वासियों से कथा श्रवण करने की अपील किया है।

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