अनुराग लक्ष्य, 19 नवंबर
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुम्बई संवाददाता ।
इसमें कोई शक नहीं कि अल्लाह के वली अल्लाह के दोस्त होते हैं, और उन्हें अल्लाह ने यह एख्तेयार दे दिया है कि वोह कहीं भी अपना आशियाना बना सकते हैं। इसकी ज़िंदा मिसाल हैं शहंशाह ए कल्यान, हजरत ए हाजी मलंग की दरगाह, राजस्थान में खोवाजा गरीब नवाज़ की दरगाह, मुंबई के समंदर में हाजी अली की दरगाह, और जाने कितने ऐसे अल्लाह के वली हैं जिन्होंने अपना आशियाना रेल की पटरियों के बीच बना रखा है। जहां जिसका दिल आया, अल्लाह के वालियों ने अपना आशियाना बना लिया।
ऐसे ही एक वाली मुंबई की डोंगरी में हैं, दुनिया जिन्हें हाजी पीर सैयद अब्दुर रहमान शाह कादरी के नाम से जानती है। जिन्होंने अपने वेलाएत का डंका डोंगरी पुलिस चौकी से बजवाया, और आपने अपना छिल्ला वहीं से शुरू किया। जो आज भी डोंगरी पुलिस प्रशासन की देख रेख में जायरीनों के लिए बदस्तूर जारी है। आपका फैजान डोंगरी पुलिस चौकी से सबको पहुंचता है।
आज 109 वें उर्स मुबारक के मौके पर पहली चादर और संदल डोंगरी पुलिस ने पेश की, साथ ही अपनी अकीदत और मुहब्बत का नज़राना पेश किया। दस दिनों तक चलने वाला यह उर्स मुबारक पर दूर दूर से हज़ारों की संख्या में लोग अपनी अपनी अकीदत और मुहब्बत के नज़राने पेश करने के लिए आते हैं, और अपनी दिली तमन्नाऐं आपकी दहलीज से पूरी करते हैं।