महर्षि वाल्मीकि ने श्रीराम के आदर्श के साथ ही दुनिया को मोक्ष मार्ग भी दिखाया। रामायण की रचना कर उन्होंने श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम तो बनाया ही साथ ही महारामायण योग वशिष्ठ लिखकर रामकथा के माध्यम से दुनिया को मोक्षमार्ग यानी कैवल्य का रास्ता दिखा दिया। यह जानकारी देते हुए ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने बताया कि महर्षि दयानन्द सरस्वती की दो सौवीं जयंती वर्ष के उपलक्ष में आमजमानस को अपनी वैदिक संस्कृति की ओर मोड़ने का महाअभियान माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में चल रहा है। इसे आर्य समाज पूरे देश में व्यापक रूप दे रहा है। इस अवसर पर स्वामी दयानन्द विद्यालय में बच्चों को सम्बोधित करते हुए शिक्षक अनूप कुमार त्रिपाठी ने बताया कि विद्वत्जनों का मत है कि सुख और दुख, जरा और मृत्यु, जीवन और जगत, जड़ और चेतन, लोक और परलोक, बंधन और मोक्ष, ब्रह्म और जीव, आत्मा और परमात्मा, आत्मज्ञान और अज्ञान, सत् और असत्, मन और इंद्रियाँ, धारणा और वासना आदि विषयों पर कदाचित् ही कोई ग्रंथ हो जिसमें ‘योगविशिष्ठ’ की अपेक्षा अधिक गंभीर चिंतन तथा सूक्ष्म विश्लेषण हुआ हो। मोक्ष प्राप्त करने का एक ही मार्ग है मोह का नाश। योगवासिष्ठ में जगत की असत्ता और परमात्मसत्ता का विभिन्न दृष्टान्तों के माध्यम से प्रतिपादन किया गया है। इस अवसर पर योग शिक्षक गरुण ध्वज पाण्डेय ने बताया कि महर्षि वाल्मीकि ने जन्मना जाति को अपनी विद्वता से परास्त किया और सबको ज्ञान के आधार पर पूज्य होने का संदेश दिया। आदित्यनारायण गिरि ने कहा कि आज बच्चों को ऐसे महापुरुषों के चरित्र बताने की आवश्यकता है जिससे उनके अंदर भी राम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न, सीता, श्रुतिकीर्ति, उर्मिला और मांडवी के चरित्र जीवन्त हो सकें। कार्यक्रम में दिनेश मौर्य, नितीश कुमार, अनीशा मिश्रा, प्रियंका गुप्ता, कुमकुम, श्रद्धा आदि ने कार्यक्रम में सहयोग किया।
गरुण ध्वज पाण्डेय