5 अक्टूबर। आर्य समाज नई बाजार बस्ती के स्वर्ण जयंती समारोह को रोचक और मनोरंजक बनाने के लिए कार्यक्रम स्थल पर पुस्तक और आयुर्वेद मेला लोगों को आकर्षित कर रहा है और अपनी वैदिक संस्कृति से जुड़ने का संदेश दे रहा है। समारोह के द्वितीय दिवस का शुभारम्भ पंडित व्यासनंदन व अशर्फीलाल शास्त्री के ब्रह्मत्व वैदिक यज्ञ से प्रारम्भ हुआ जिसमें अर्चना ओमप्रकाश आर्य, गणेश आर्य मुख्य यजमान रहे। इस अवसर पर ईश्वर के मुख्य नाम पर चर्चा करते हुए पंडित भीष्म देव जी ने कहा कि ओम से बड़ा इस संसार में कोई नाम नहीं है ओम ही प्रभु का मुख्य नाम है उन्होंने *भजन जीवन सारा बीते तेरा नाम जपते जपते*। प्रस्तुत कर पंडाल में उपस्थित सभी श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।स्वामी वेदामृतानंद सरस्वती
ने मानव जीवन में सत्संगों का महत्व बताते हुए कहा कि दानी, अहिंसक और ज्ञानी का जो सत्संग करते हैं वही सूर्य और चंद्रमा के समान कल्याण के मार्ग पर चलते हैं। पंडित अशरफी लाल शास्त्री ने वैदिक धर्म के विषय पर स्वामी दयानंद सरस्वती का नाम लेते हुए कहा कि अगर जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति करनी है तो वैदिक धर्म से ही प्राप्त हो सकता है। स्वामी दयानन्द ने देश में फैले हुए आडंबर का विरोध किया था साथ ही वैदिक धर्म का प्रचार पूरे देश में किया। वैदिक धर्म ही एक मात्र दुनिया का ऐसा धर्म है जो आडंबर को दूर करते हुए सत्य की राह पर चलने का प्रेरणा देता है। अपने भजनोपदेश के मध्यम से पंडिता रुक्मणी जी ने सत्संग की अनिवार्यता पर अपना भजन *आज यहां सत्संग सजाया जाएगा* प्रस्तुत कर सबको मंत्र मुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए आचार्य सुरेश जोशी ने बताया कि इस कार्यक्रम में 7अक्टूबर को अपराह्न काल में आर्य वीर वीरांगनाओं का शौर्य प्रदर्शन होगा। अंत में पितृ पक्ष के विषय में प्रश्न का शंका समाधान करते हुए बिहार से पधारे डा व्यास नंदन शास्त्री ने श्राद्ध केवल जीवित पितरों का ही हो सकता है मृतकों का नहीं। पक्ष केवल दो ही होते हैं कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष अन्य नाम मनगढ़ंत हैं। अध्यक्षीय उद्बोधन में अजय आर्य ने आयोजक मंडल को धन्यवाद देते हुए कहा कि आर्य समाज ने स्वर्ण जयंती समारोह आयोजित कर आमजनमानस में वैदिक धर्म के प्रति अति उत्साह और जिज्ञासा पैदा की है। इस अवसर पर ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज ने लोगों को सपरिवार सम्मिलित होने का न्योता दिया है। कार्यक्रम में अजय आर्य, प्रमोद आर्य, संतोष कुमार, गिरिजाशंकर द्विवेदी, शिवपूजन आर्य, चंद्रमुनि, अजीत पाण्डेय, ओम प्रकाश वेदव्रती, शशि बरनवाल, उर्मिला देवी, तारावती सिंह, सरोज, सुमन आर्य, नीलिमा, मयंक सरन, मुनेन्द्र आर्य, द्रोजपाल आर्य, सत्यनारायण आर्य, खरभान आर्य, रामदवन आर्य, बृजकिशोर आर्य, उपेन्द्र शर्मा, उमा श्रीवास्तव, अनीशा, साक्षी, महक, सहित अनेक गणमान्य उपस्थित थे।

गरुण ध्वज पाण्डेय