बिना प्रभु राम की कृपा से संत नही मिलते – श्री धराचार्य जी महाराज

 

अयोध्या  24 अगस्त प्रसिद्ध पीठ अशर्फी भवन में अशर्फी भवन के पूर्व पीठाधीश्वर बैकुंठवासी जगतगुरु श्री स्वामी माधवाचार्य जी महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर वर्तमान पीठाधीश्वर स्वामी श्री श्री धराचार्य जी महाराज ने पूज्य गुरुदेव का चरण पूजन वंदन किया इस अवसर पर वेद विद्यालय संस्कृत विद्यालय के सभी आचार्य और वेद पाठी ब्राह्मण बटुकों ने वेद पाठ श्री विष्णु सहस्त्रनाम आलवन्दार स्तोत्र का सामूहिक पाठ किया मध्यान में बृहद भंडारे का आयोजन हुआ खंडेलवाल वैश्य निष्काम सेवा समिति द्वारा आयोजित नव दिवसीय श्री राम कथा ज्ञान महायज्ञ के सप्तम दिवस में स्वामी श्री धराचार्य जी महाराज ने श्रीराम कथा का श्रवण कराते हुए कहां चंद्रयान तृतीया की सफलता के लिए देश के सभी वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं दी महाराज जी ने कहा भगवान श्री हरि की कृपा से आज हम सब भारतवासियों के लिए बहुत ही हर्ष का दिन है हमारे देश की आन बान शान तिरंगा आज चंद्रमा पर लहरा रहा है हम सभी भारत वासियों के लिए यह गर्व की बात है कथा के क्रम को आगे बढ़ते हुए कहा प्रभु मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के वन जाने से श्री अयोध्या भी संसार बन गई और मुक्त जीव भरत जी जब संसार रूपी अयोध्या को छोड़कर राम जी को मनाने वन में जाते हैं तो मार्ग में सभी ऋषि मुनि देवता भरत जी के स्वागत सत्कार में उपस्थित होते हैं आज इस भयंकर कलयुग में भगवान राम और भरत जैसा भ्रातृत्व प्रेम यदि हमारे जीवन में आ जाए तो निश्चित ही हम भी परमपिता परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं अनेकों जन्मों से भगवान के दर्शन हेतु तपस्या कर रहे ऋषि-मुनियों को प्रभु वन में दर्शन देते हैं प्रभु श्री राम सुतीक्ष्ण ऋषि के आश्रम पर जाते हैं प्रभु भक्ति में लीन सुतीक्षण ऋषि के गुणों का बखान सीता लक्ष्मण को सुनाते हैं प्रभु श्री राम वन में सभी ऋषि-मुनियों को कृतार्थ करते हुए अगस्त्य ऋषि के आश्रम में प्रवेश करते हैं परम तेजस्वी तपस्वी अगस्त ऋषि का दर्शन पाकर प्रभु कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं बिन हरीकृपा मि ले नहीं सनता सद्गुरु और संतों की कृपा हम जीवो पर यदि हो जाए तो हम परमपिता परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं प्रभु राम लक्ष्मण जी को परण कुटीर बनाने की आज्ञा देते हैं लक्ष्मण जी अपने विवेक का प्रयोग करते हुए रमणीय स्थान पर दिव्य कुटीर का निर्माण करते हैं प्रभु श्री राम लक्ष्मण जी द्वारा निर्मित पर्ण कुटीर में प्रवेश करते हैं प्रसन्न होकर प्रभु भ्राता लक्ष्मण को अपने गले से लगा लेते हैं गीदधराज जटायु से से प्रभु का मिलन होता है जटायु पूर्व से ही अयोध्या से संबंध की बात बताते हैं प्रभु जटायु को अपने संरक्षक के रूप में स्थान देते हैं कुटिल भाव से शूर्पणखा प्रभु राम के समीप आती हैं और अपने पति के रूप में प्राप्त करने हेतु प्रार्थना करती है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम शूर्पणखा को समझाते हुए कहते हैं देवी मेरा अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम है मैं पहले से ही विवाहित हूं अतः मैं आपकी इस इच्छा को पूर्ण नहीं कर सकता क्रोधित होकर शूर्पणखा विकराल रूप धारण करके मां सीता को खाने दौड़ती हैं प्रभु लक्ष्मण जी की ओर इशारा किए लक्ष्मण जी ने दुष्ट शूर्पणखा के नाक और कान काट लिए शूर्पणखा रोते बिलखते अपने भाई खर दूषण को प्रभु के रूप सौंदर्य का वर्णन सुनाती है यही तो प्रभु की महानता है राक्षसी होते हुए भी शूर्पणखा अपने भाइयों को बताते हुए कहती है कि दो पुरुष वन में आए हैं सुकुमार हैं कोमल हैं उनके साथ एक सुंदर नारी है उसे लेने के लिए मैं उनके पास गई थी तो मेरा यह हाल कर दिया खर दूषण 14000 राक्षसी सेना के साथ प्रभु के साथ घनघोर युद्ध करते हैं देखते ही देखते प्रभु सभी का वध कर देते हैं और ऋषि-मुनियों को कृतार्थ करते हुए राक्षस जाति के विनाश का संकल्प लेते हैं राम जी के जीवन चरित्र को सुनकर खंडेलवाल वैश्य निष्काम सेवा समिति के सभी भक्तगण आनंदित हो रहे हैं कथा का समय शाम 3:00 बजे से 7:00 बजे तक है धर्म प्रेमी बंधु कथा में पधारकर अपने जीवन को धन्य करें।

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