अयोध्या। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर रामनगरी अयोध्या में आस्था का जनसैलाब देखने को मिला। गुरूवार की सुबह से ही पावन सरयू नदी के तट पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। इस पवित्र मौके पर श्रद्धालुओं ने सरयू में स्नान कर दान पुण्य किया। हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन दान का विशेष महत्व होता है। गुरु-शिष्य परंपरा से जुड़ा गुरु पूर्णिमा पर्व का विशेष महत्व देशभर से आए श्रद्धालु और शिष्य स्नान के बाद अपने-अपने गुरु के स्थानों पर पहुंचे और विधिवत पूजन कर गुरुजनों का आशीर्वाद प्राप्त किया। सुबह से ही सरयू स्नान के लिए भक्तों का समूह उमड़ा रहा। भक्तों ने सरयू स्नान कर नागेश्वर नाथ महादेव का जलाभिषेक किया साथ ही रामजन्मभूमि, हनुमानगढ़ी सहित सभी मंदिरों में महोत्सव की धूम रही। भक्तों के साथ-साथ अयोध्या के संत-महंत भी अपने गुरू का पूजन कर करते दिखे। सरयू घाट से लेकर राम मंदिर, हनुमानगढ़ी और कनक भवन तक श्रद्धालुओं से पूरी नगरी भरी हुई दिखाई दी।
अयोध्या महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी भी अपने तिवारी मंदिर में शिष्यों के बीच गुरु के रूप में नजर आए। गुरु पूर्णिमा के मौके पर मंदिरों में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और भंडारे का भव्य आयोजन किया गया। कबीर दास ने कहा है गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागे पाय बलिहारी गुरु आपकी गोविंद दियो बताएं। गुरु की कृपा जीवन को सार्थक बनाने के लिए बहुत जरूरी है। ईश्वरीय कृपा मिलती है लेकिन जीवन में मार्गदर्शन गुरु ही दे सकता है। मणिराम दास छावनी में भी सुबह से ही गुरु पूजन चलता रहा। अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत ज्ञान दास के आवास पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। सुबह से ही गुरु आराधना के लिए श्रद्धालु पहुंचे । देश-दुनिया से अयोध्या पहुंचे श्रद्धालु अपने गुरुओं की पूजा कर खुद को सौभाग्यशाली मानते हुए उनका आशीर्वाद लिया। राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। शिष्य अपने गुरु का पूजन कर उनका आशीर्वाद ले रहे हैं। मणिराम छावनी में भी दूरदराज से श्रद्धालु आए हैं। सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा का आज भी निर्वहन हो रहा है। जीवन में सदमार्ग के लिए गुरु की कृपा बहुत ही आवश्यक है। मान्यता है कि आज के ही दिन विष्णु भगवान ने वेद व्यास के रूप में जन्म लिया था।