हुसैन आज भी ज़िंदा हैं इस ज़माने में

अनुराग लक्ष्य, 29 जुलाई।
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी, मुंबई संवाददाता।
त्वारीख शाहिद है, इतिहास साक्षी है कि जब जब सत्य और असत्य के बीच कोई लड़ाई, कोई युद्ध या कोई जंग वक्त ने अपनी आंखों से देखा है। तब तब यही हुआ है कि सत्य कभी पराजित नहीं हुआ है। क्योंकि असत्य कभी सत्य का दावेदार नहीं हुआ बल्कि सत्य ने हमेशा असत्य पर परचम लहराकर अपनी विजय पताका को फहराया है।
यही दास्तान वक्त की आंखों न करबला के उस रेतीले मैदान में भी देखा, इसीलिए आज दुनिया यही कहती है कि,,यजीद मर गया कोई नाम नहीं लेता है, हुसैन आज भी ज़िंदा हैं इस ज़माने में,,
नेवासा ए रसूल हजरत इमाम ए हुसैन की शहादत को आज पूरी मुंबई ने अपनी नम आंखों से खेराज ए अकीदत पेश की। धरावी, माहिम, बांद्रा, जोगेश्वरी, अंधेरी, बोरीवली, कुर्ला, गोवंडी, चीता कैंप, सायन, माटुंगा, जकरिया रोड़, मस्जिद बंदर, कराफट मार्केट, मुहम्मद अली रोड, सहित पूरी मुंबई में मुहर्रम की दसवीं के मौके पर शांति पूर्ण ढंग से हिंदू और मुस्लिमों ने इमाम ए हुसैन की शहादत को सलाम किया। जगह जगह सुरक्षा के पुख्ता इंतजामात को भी देखा गया। मुंबई पुलिस की अपनी सूझ बूझ के कारण कहीं भी कोई अपिर्य घटना की सूचना नहीं मिल पाई। समाचार लिखे जाने तक ताज़िए दार अपने अपने जुलूस और गाजे बाजे के साथ अपने अपने करबला को प्रस्थान करते दिखाई दिए।
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी, मुंबई संवाददाता।

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