एक ऐसा संगीतलय जहां बुजुर्गो को मिलती है नई ज़िंदगी,,,,,,


अनुराग लक्ष्य, 22 जनवरी
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता ।
यूँ तो मुंबई में एक से एक बेहतर म्यूजिक इंसटीट्यूट , म्यूज़िक कंपनियां और म्यूज़िक स्टूडियोज हज़ारों की तादाद में हैं। जहां फिल्मों के गाने की रिकॉर्डिंग होती है, साथ ही संगीत विद्यालय भी चलते हैं। संगीत प्रेमियों को यह इंस्टीचूट बेहतर संगीत की शिक्षा के साथ उनकी प्रतिभा को निखारकर उन्हें गायन और संगीत के छेत्र में विशेष भूमिका निभाते हैं।
आपको बताते चलें कि थाने में एक ऐसा भी संगीत विद्यालय है जो सिर्फ बुजुर्गो के लिए है। और उस संगीत विद्यालय को लोग , ललाट म्यूज़िकल आर्ट्स, के नाम से जानते हैं। जिसके रूह ए रवाँ श्री उमाकांत जी हैं जो खुद एक कवि शायर होने के साथ संगीत विद्या में पूर्णतयह पारंगत हैं।
इस ललाट म्यूज़िकल आर्ट्स की खूबी यह है कि इस में बुजुर्ग महिलाओं और पुरुषों की ही धूम दिखाई देती है। जिन्हें संगीत से प्रेम है या जिसमें गायकी को परवान चढ़ाने का जुनून हैं ।
आपको आश्चर्य होगा कि ललाट म्यूज़िकल आर्ट्स में बड़े बड़े अधिकारी जो अपनी सेवाओं से मुक्त हो गए हैं। या वह लोग जो अपने उम्र की इस दहलीज़ पर हैं जो अपनी अपनी घरों की नैतिक जिम्मेदारियों से मुक्त हो चुके हैं। वोह सभी पुरूष और महिलाएं आकर बाकायदा संगीत से जुड़ कर अपनी ज़िंदगी को खुशहाल बना रहे हैं। बातों बातों में ललाट म्यूज़िकल आर्ट्स के रूह ए रवाँ उमाकांत वर्मा जी कहते हैं कि मैने यह इंस्टीट्यूट सिर्फ इस खयाल से स्थापित किया है कि जोग अपनी उम्र के इस दहलीज पर आ गए हैं कि घरों में उनके लिए कोई पर्याप्त समय नहीं देता है। ऐसे में वह खालीपन का शिकार न हो जायेँ, और उनका भी वक्त हंसी खुशी गुज़रे।