आत्महत्या के कारण, निवारण को लेकर चली लम्बी बहंस, सेमिनार में खुलकर बोले प्रबुद्धजन
सेमिनार में बोले प्रबुद्धजन, कहा आत्महत्या के लिये अति महत्वाकाक्षा जिम्मेदार
बस्ती, 23 दिसम्बर। सामाजिक संस्था ह्यूमन सेफ लाइफ फाउण्डेशन की ओर से समाज में बढ़ती ‘आत्महत्या’ की प्रवृत्ति को लेकर सेमिनार एवं संवाद कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें वक्ताओं में आत्महत्या के कारण निवारण पर लम्बी बहंस की। किसी ने अति महत्वाकांक्षा, बेरोजगारी, नाकामी, लव अफेयर तथा संवादहीनता को आत्महत्या का कारण बताया तो किसी ने अभिभावकों के आचरण, देश की न्यायिक प्रणाली तथा पुलिस की कार्यशैली को दोषी करार दिया।
फाउण्डेशन के संरक्षक डा. एल.के. पाण्डेय, जयंत कुमार मिश्रा, रामसजन यादव, देवेश मणि त्रिपाठी, संस्थापक रंजीत श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव, अपूर्व शुक्ल, राजेश कुमार ओझा, अर्चना श्रीवास्तव ने विधिवत पूजा अर्चना के बाद कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। प्रेस क्लब के महामंत्री महेन्द्र तिवारी ने कहा बदलते परिवेश में लोगों का जमीर मर चुका है। लोग निजी लाभ की खातिर किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। जिसको नही मिल रहा है वह अवसादग्रस्त होकर आत्महत्या जैसे घातक कदम उठा रहा है। मनोवैज्ञानिक डा. प्रीती त्रिपाठी ने कहा आत्महत्या का कोई एक कारण नही है। असफलतायें, प्रेम संबंधों में बाधा, न्यायिक प्रणाली से निराशा और मानसिक विकृति व बीमारी भी आत्महत्या का कारण है। ज्ञानेन्द्र पाण्डेय, मनमोहन श्रीवास्तव ने कहा जागरूकता और अवसादग्रस्त लोगों की कांउसिलिंग के जरिये आत्महत्या के मामलों को कम किया जा सकता है।
डा. प्रमोद चौधरी एवं डा. अभिजात एवं डा. अनिल कुमार मौर्य ने आत्महत्या के लिये काफी हद तक समाज को जिम्मेदार ठहराया। कहा मोबाइल लोगों का धैर्य नष्ट कर रहा है और लोगों की आजादी तथा अभिव्यक्ति की क्षमता को क्षीण कर रहा है। डा. सुनील कुमार चौधरी ने आत्महत्या के आंकड़े पेश करते हुये कहा अवसादग्रस्त व्यक्ति आत्महत्या का निर्णय अचानक लेता है लेता है लेकिन उसका आचरण व दिनचर्या घटना से कई दिन पहले से संदिग्ध हो जाती है। परिजन और मित्र इसका ध्यान रखकर उसे अवसाद से बाहर निकाल सकते हैं। नगरपालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि अंकुर वर्मा ने कहा आत्महत्या को हतोत्साहित करने वाले कार्यक्रम स्कूल कालेजों में भी होने चाहिये। शिक्षक रामकृष्ण पाण्डेय ने कहा काउंसिलिंग सेन्टर खोलकर सामाजिक संस्थाओं को अवसादग्रस्त लोगों की काउंसिलिंग करनी चाहिये।
डा. एल.के पाण्डेय, रेखा चित्रगुप्त, डा. रीता पाण्डेय एवं अर्चना श्रीवास्तव, हिना खातून, संध्या दिक्षित ने आत्महत्या के कारणों पर चर्चा की। कहा अभिभावकों को अपना आचरण सुधारना होगा। भावेश पाण्डेय ने कहा संवादहीनता आत्महत्या का बहुत बड़ा कारण है। एक दशक पहले जहां लोग सामाजिक सराकारों और पड़ोसियों से वास्ता रखते थे वहीं आज लोग अपने पड़ोसी के बारे में कुछ नही जानते और न ही उनसे बोलचाल है। न केवल आपस में बल्कि समाज में भी संवाद की परंपरा पुनः कायम करनी होगी। ह्यूमन सेफ लाइफ फाउण्डेशन के जिला अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव ने कहा निजी रिश्तों में बढ़ती दूरियां, पुलिस की कार्यशैली, न्यायिक प्रणाली, बेरोजगारी और असफलता आत्महत्या के लिये जिम्मेदार है। अभिभावकों को चाहिये कि वे नई पीढ़ी पर दबाव कम करें और अपने अधूरे सपनों को उनके माध्यम से पूरा करने की उम्मीदें छोड़ें। उन्हे रूचि के अनुसार अपना क्षेत्र चुनने का अवसर दें।
कार्यक्रम के अंत में संस्थापक रंजीत श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों के प्रति आभार जताया। गायक अमरेश पाण्डेय ने अपने गीत के माध्यम से आत्महत्या को दुर्भाग्यूपर्ण बताया। सेमिनार को प्रकाश मोहन श्रीवास्तव, रोटेरियन मयंक श्रीवास्तव, डा. वाहिद अली सिद्धीकी सहित अनेक वत्ताओं ने सम्बोधित किया। अपराजिता सिन्हा, जीत यदुवंशी, राजेश चित्रगुप्त, सतेन्द्र श्रीवास्तव, काजी फरजान, संतोष श्रीवास्तव, बबलू गुप्ता, डा. अजीत श्रीवास्तव, सुनील सोनी, डा. आरके त्रिपाठी, दुर्गेश कुमार, राजेश मिश्रा, विशाल पाण्डेय, राहुल श्रीवास्तव, अजय श्रीवास्तव, राजेश पाण्डेय, अनुराग श्रीवास्तव, रत्नेन्द्र पाण्डेय, आशुतोष श्रीवास्तव, संदीप श्रीवास्तव, संदीप गोयल, रणविजय सिंह, पवन चौधरी आदि मौजूद रहे।