महेन्द्र कुमार उपाध्याय
अयोध्या । द्वितीय दिवस के प्रवचन सत्र में रामायण मेला समिति के संरक्षक जगतगुरु राघवाचार्य ने बताया कि अयोध्या स्वयं सच्चिदानंद विग्रह के रूप में विराजमान है , साध्वी जया ने सनातन धर्म के प्रचार को अत्यधिक प्रचारित प्रसारित करने की बात की , राम शरण दास रामायणी ने बताया कि कलि काल कुठार लिए फिरता,
तन नम्र से चोट झिली न झिली।
कहले हरिनाम अरी रसना,
फिर अन्त समय में हिली न हिली।अन्य अनेक संतों द्वारा राम के आदर्शों का व्याख्यान दिया गया प्रवचन सत्र में। महंत जनमेजय शरण जी राम विवाह के प्रसंग को वर्णित किया और बताया कि आज मिथिला और अयोध्या एक सा प्रतीत हो रहा है ,राम कुमार दास जी रामायणी ने राजा दशरथ जी के मन की व्यथा गुरु के बताने पर मानस की चौपाई धारहू धीर होइएसुत चारी प्रसंग वर्णित किया, राम कृष्ण दास रामायणी ने बताया कि नारदादि सनकादि मुनीसा। दरसन लागि कोसलाधीसा॥
दिन प्रति सकल अजोध्या आवहिं। देखि नगरु बिरागु बिसरावहिं॥1॥ प्रवचन सत्र में पूर्व सांसद बृज भूषण शरण सिंह एवं समिति संरक्षक डाक्टर निर्मल खत्री (पूर्व सांसद), नागा राम लखन दास,नंद कुमार मिश्रा पेड़ा महराज , आशीष मिश्रा आदि उपस्थित रहे । रामायण मेला के सांस्कृतिक संध्या का उद्घाटन प्रो प्रतिभा गोयल (कुलपति , अवध विश्विद्यालय, अयोध्या ) द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया । सांस्कृतिक कार्यक्रमों शीतला वर्मा ने फरवाही नृत्य का मंचन किया वहीं झांसी से आए गायक वीरेंद्र सिंघल ने गणेश वंदना से अपनी प्रस्तुति आरम्भ की तत्पश्चात लखनऊ से आई संजोली पाण्डेय ने लोक गीत के माध्यम से श्री राम जन्म अवध में जन्मे ललनवा से लेकर श्री सीता राम विवाह की प्रस्तुति से सबको भाव विभोर कर दिया ।