


अनुराग लक्ष्य, 1मई
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुम्बई संवाददाता ।
बीती शाम उस वक्त सुरमई शाम में तब्दील हो गई, जब दूरदर्शन केन्द्र प्रयागराज ने
दिल्ली से आए प्रसार भारती सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के अपर महा निदेशक के सम्मान में *शाम -ए-ग़ज़ल* की एक शानदार शाम सजाई, जो प्रयाग राज वासियों के दिलों को खुशबू से मुअत्तर कर गई । अपर महा निदेशक ने दिनभर आकाशवाणी व दूरदर्शन केन्द्र के अधिकारियों के साथ कुछ अनिवार्य बैठक के साथ ही दस्तावेजों काअवलोकन किया ।
शाम 06:30 पर आकाशवाणी की अधिकृत एवं अस्थाई उद्घोषिका श्रीमती शिप्रा श्रीवास्तव ने दूरदर्शन केन्द्र में
उनका एक विशेष साक्षात्कार लिया जिसका विषय था *लोक प्रसारक की भूमिका में प्रसार भारती उक्त साक्षात्कार का शीध्र ही दूरदर्शन उत्तर प्रदेश* से प्रसारण किया जाएगा।
दूरदर्शन केन्द्र प्रयागराज के कार्यक्रम प्रमुख व निदेशक अभिषेक तिवारी की अगुवाई और कार्यक्रम समन्वयक हर्षित कुमार के कुशल संयोजन में आयोजित शाम-ए-ग़ज़ल में प्रख्यात गायक मनोज गुप्ता नामचीन गायिका स्वाति निरखी के साथ ही अपनी गायिकी और दिलकश आवाज़ के चलते तेजी से चर्चा में आ रही गायिका शिखा त्रिपाठी और मोनाली चक्रवर्ती ने एक से बढ़कर एक ग़ज़लें आमंत्रित दर्शकों श्रोताओं और अपर महा निदेशक को सुनाईं l कार्यक्रम की शुरुआत स्वाति निरखी ने वयोवृद्ध शायर सुरेन्द्र शास्त्री के ग़ज़ल संग्रह *पूछती हैं मछलियों से मछलियां* की एक ग़ज़ल “मौसम है अपना बज़्म-ए-तरब फिर सजाइये…
हम रो रहे हैं आप कोई गीत गाइये..” से की मनोज गुप्ता ने राज इलाहाबादी की कई ग़ज़लें सुनाईं जिनमें उनकी एक मशहूर ग़ज़ल “लज़्ज़तें ग़म बढ़ा दीजिए..आप फिर मुस्कुरा दीजिए..गायिका शिखा त्रिपाठी ने “बैठे हुए देते हैं वो दामन से हवाएं… अल्लाह करे हम ना कभी होश में आएं..
वहीं मोनाली चक्रवर्ती ने भी अपनी कई परस्तुति से कई मयारी गज़लें गाकर महफ़िल में खूब समां बांधा l इसी क्रम में अपर महानिदेशक ने भी बशीर बद्र की लिखी ग़ज़ल… “सर झुकाओगे तो पत्थर भी देवता हो जाएगा.” इतना मत चाहो उसे वो बेवफा हो जाएगा”.
कार्यक्रम का मंच संचालन सुप्रसिद्ध उद्घोषक संजय पुरुषार्थी और शरद कुमार मिश्रा ने किया कार्यक्रम में आकाशवाणी दूरदर्शन केन्द्र के अधिकारियों कर्मचारियों के साथ ही श्रीमती अंशू त्रिपाठी श्रीमती ज्योति यादव अमित अवधेश विभूति के अलावा शहर के कई गणमान्य मौजूद रहे ।
शाम ए ग़ज़ल की इस दिलकश शाम के आयोजक दूरदर्शन केन्द्र प्रयाग राज के निदेशक को मेरी तरफ से बहुत बहुत बधाई और दिली मुबारकबाद। काश, इस प्रोग्राम में अगर मैं सलीम बस्तवी अज़ीज़ी इस शाम का हिस्सा होता तो इस सुरमई शाम को और भी दिलकश बनाने के लिए यह चार मिसरे समायीन की नज़्र ज़रूर करता, कि
,,,, अदब की महफिलों में जब ग़ज़ल यह मुस्कुराती है
हर इक दिल में वफा और प्यार की शम्मां जलाती है
ग़ज़ल इस ज़िंदगी की भीड़ में राहत का सामां है
वफा की चांदनी बनकर हमें अक्सर लुभाती है,,,,,