ग़ज़ल
शीर्षक -मोहब्बत
इश्क के चर्चे जहां भी होते हैं,
वहां पर नाम हमारे भी लिए जाते हैं।
तुम्हें पता भी नहीं है हमारी चाहत का,
हमारे दर्द पर पैगाम लिखे जाते हैं।
कभी मस्जिद में भी आकर तो देखा होता,
लोग सिज़दे में दुआ तेरे लिए गाते हैं।
हर तरन्नुम में भी ख़याल बस तुम्हारा है
मिसरे गजल के तेरे आंसुओं पे गाते हैं।
ख्वाब में भी मसरूफ बस तुम ही से हुआ करते हैं।
आंख खुलते ही हम बस तुझ में डूब जाते हैं।
अर्चना शाद थी बस तेरे प्यार में जानम,
नज्म हर बार की बस तेरे लिए गाते हैं।
अर्चना श्रीवास्तव
शब्द शिल्पी